Home मधुलिका यादव शची लोग जानना नहीं चाहते बल्कि जीतना चाहते हैं

लोग जानना नहीं चाहते बल्कि जीतना चाहते हैं

मधुलिका शची

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लोग जानना नहीं चाहते बल्कि जीतना चाहते हैं…
.उन्हें यदि पता भी है कि वो गलत रास्ते पर हैं तब भी वो जीतने के लिए तर्क करते हैं, जिद को तर्क कहने लगते हैं । यही कारण है कि मनुष्य अब स्वयं से कोसों दूर होता चला जा रहा है।
सिद्धार्थ बहुत समय तक भटकते रहे, परंपराओं का पालन करते हुए तपस्या करते रहे कि हो न हो इसी रास्ते से सब अपने सत्य को पाए हैं, मैं भी पाऊंगा….
भूख प्यास से शरीर को तपाने को सिद्धार्थ तपस्या समझ बैठे थे। आत्मा तक तो बात ही नहीं पहुंच रही थी तो भला सत्य दिखे कहाँ से ..? तपस्या के परंपरावादी प्रक्रिया में फंसा सिद्धार्थ बंधन मुक्त होने की आशा रखता है , एक गांठ बांध कर चल रहा है और सोच रहा है सारी गांठ खुल जाए….कितनी हास्यप्रद बातें हैं।
सिद्धार्थ अभी तपस्या के रथ पर ही बैठे हैं , रथ के घोड़े अभी तो दौड़ ही नहीं लगा रहे हैं। ऊर्जा चक्र का सम्बंध तो बन ही नहीं रह है वो बस नाच रही है ऊपर से नीचे बन्दर दौड़ की तरह…
थक गए सिद्धार्थ तपस्या के परम्परावाद का पालन करते हुए , बेहोश होकर नदी के किनारे गिर पड़े और मुख से निकल रहा था “जल , जल , जल ..
एक ग्रामीण स्त्री सुजाता दौड़ पड़ी , उसने सिद्धार्थ को जलपान कराया फिर प्रश्न करती है : हे साधु महाराज आप क्या खोज रहें हैं ..?
सिद्धार्थ का अहंकार अब समर्पण कर गया, सिद्धार्थ बोल उठे ; सत्य, मोक्ष, मुक्ति..!!
सुजाता सहसा बोल पड़ी : शिव .!! शिव ..! अरे साधु महाराज सत्य खोज रहे हो पर बिना शरीर के सत्य और मोक्ष मिलेगा कैसे ..?
मोक्ष मृत्यु को तो नहीं कहते, इतनी साधारण सी बात मैं ग्रामीण समझती हूँ आप कैसे नहीं समझते होंगे..?
जब शरीर ही नहीं रहेगा तो मुक्ति कैसे मिलेगी ..?
सिद्धार्थ चाहते तो शास्त्रार्थ करके सुजाता का मुंह बंद करा देते पर नहीं सिद्धार्थ ने सत्य को स्वीकार किया। जो बात उदाकाराम पुत्तम सिद्धार्थ को नहीं समझा पाए वह बात एक साधारण सी ग्रामीण स्त्री सुजाता सिद्धार्थ को बता गयी जिससे सिद्धार्थ बुद्धत्व की यात्रा कर पाए…..
जो जिद में , अहंकार में जीतने की कोशिश करता है वह भटक जाता है जैसे सिद्धार्थ के साथ तपस्या करने वाले अन्य साधु भटक गए, उन्हें परम्परा में ही तपस्या दिखी इसलिए अपना सत्य नहीं खोज पाए लेकिन सिद्धार्थ ने समपर्ण कर दिया जिससे बुद्धत्व की प्राप्ति हो गयी….

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