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पत्रकारिता एक मजाक क्यों बन गया है

नितिन त्रिपाठी

by Nitin Tripathi
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स्कूल में बच्चों से पूछा जा रहा था कि उनके पिता क्या करते हैं, कितना कमाते हैं.
एक बच्चे ने बताया मेरे पिता जी पहले गे गिगोलो थे. पुलिस ने पकड़ा और जेल में छः महीने रहे. फिर वापस आकर शादी बारात में लौंडा डांस करते हैं लोग उन पर सिक्के फेकते हैं, यही उनकी कमाई है.
बाद में उसके मित्र ने पूँछा तुमने झूठ क्यों बोला. लड़के ने बोला किस मुँह से बताऊँ कि मेरे पिता इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिपोर्टर हैं और अतीक अहमद को प्रयाग राज लाये जाने की लाइव कवरेज कर रहे थे.
दुनिया में जो भी सबसे निकृष्ट तम पेशे हो सकते हैं उससे भी घृणित रही मीडिया की लाइव कवरेज. यस, up में रहने वाले हर समझदार को पता है अतीक का हज़ारों करोड़ का कारोबार है, पर्दे के पीछे खेल में नेता से लेकर मीडिया तक, पुलिस से जज तक सब मिले हैं, उसे कुछ नहीं होना, पर उसे बचाने के लिये जिस हद तक मीडिया गिरा इतिहास में लिखा जाएगा.
सबसे घृणित सीन तो यह था जिसमे सड़क पर अतीक को पेशाब करते हुवे नेशनल न्यूज़ चैनल आज तक तक पर दिखा रहे थे. बाक़ायदा कैमरा से धार पर फ़ोकस करते हुवे. शर्मनाक भी है कि एक और प्रधान मंत्री शौचालय की वकालत करते हैं तो दूसरी ओर ढेरों आईपीएस सैंकड़ो पुलिस वाले और मीडिया कर्मियों के बीच पूरे देश को दिखाते हुवे अतीक सड़क पर पेशाब करते हैं.
गाँव गाँव में सरकारी कर्मचारी नियुक्त किए गये कि कोई गाँव वाला सड़क पर फ़ारिग होता न मिले और दूसरी ओर सरकार से मीडिया तक टीवी पर लाइव टेलीकास्ट कर रहा है अतीक की पेशाब का.
एक पत्रकार महोदय तो एक शौचालय दिखा रहे थे कि देखिए इसी में अतीक शौच गये थे.
क्या है यह? ऐसे पत्रकार अपने बच्चों और परिवारी जनों से किस मुँह से बात करते होंगे. कुछ तो डिग्निटी होनी चाहिए प्रोफ़ेशन की.

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