विश्व शांति की एकमात्र गारंटी बहुदेववाद है, क्योंकि न केवल यह करुणापूर्ण #सर्वेश्वरवाद की सीढ़ी है बल्कि अकेला यही विचार है जिसका मानव जाति के रक्तरंजित इतिहास में रत्ती भर भी योगदान नहीं है।
एकोपास्यवाद को छोड़िए…….
सगर्व मूर्तिपूजा कीजिये ….
क्योंकि मूर्तिपूजक बहुदेववाद वस्तुतः कण-कण में ईश्वर की सत्ता देखने वाला ‘औपनिषदिक सर्वेश्वरवाद’ है जो आपको सर्वोच्च सत्य का ज्ञान कराता है और दृष्टि को उदार बनाता है कि सृष्टि के कण-कण में ईश्वर है तो..
-मूर्ति में ईश्वर क्यों नहीं हो सकता?
-नदी, पहाड़, वन में ईश्वर क्यों नहीं हो सकता?
-राम, कृष्ण में ईश्वर क्यों नहीं हो सकता?
-एक निष्पाप बालक में ईश्वर क्यों नहीं हो सकता?
सातवें आसमान पर बैठे किसी अल्लाह, गॉड या निराकार सत्ता के स्थान पर प्रकृति के कण-कण को पूजिये।
हिंसक एकेश्वरवाद के स्थान पर बहुदेववादी औपनिषदिक सर्वेश्वरवाद को गर्व सहित अपनाइए।
विश्व शांति का आधार यही होगा।