Home विषयइतिहास काशी में हैं रहस्यों की गहराई

कहतें हैं कि मुम्बई मायानगरी है जहाँ छोटे-छोटे इंसानों के बड़े बड़े सपने पूरे हुए हैं…पर काशी…
अरे वही काशी जिसे बनारस, वाराणसी, आनंद कानन, अविमुक्ति क्षेत्र, अपुनर्भव भूमि भी कहते है। अरे वही काशी जो ज्ञान की शलाका है,औघड़ों का ठहाका है, रहस्यों की गहराई है, किस्सों की ठंडाई है, दिव्य है, भव्य है, रम्य है, प्रणम्य है, मुक्ति है, विरक्ति है और मेरी परम आसक्ति है।
रुपया, पैसा, धन, दौलत, घर, मकान, मान, सम्मान, रूपरंग, सौंदर्य, शोहरत, इज्जत, शक्ति, बाहुबल, अहंकार, ऐंठन, बदमिजाजी, बकैती का गरुर जब बेइंतहा हो जाय तो निकल पड़ना घर से, एक चद्दर रख लेना साथ में या काशी में ही किसी स्टेशन के बाहर 10 रुपये में बिकने वाली पन्नी ले लेना और पहुँच जाना सीधे मणिकर्णिका घाट…
यह वो जगह है जहाँ पर इंसान बड़े से बड़े सपने को जलते हुए, मिट्टी में खाक होते हुए देखता है। यह वो जगह है जहां इंसान के शरीर के जलते हुए आग के उजाले में सिर्फ और सिर्फ सच्चाई दिखाई देती है।
एक रात के लिए भूल जाना कि क्रेडिट कार्ड की लिमिट कितनी है, डेबिट कार्ड में कितने पैसे पड़े हैं जिन्हें अभी निकाल कर पांच सितारा होटल बुक कर सकते हो। भूल जाना अपने पैरों में पड़े हुए जूते की कीमत या कलाई में टिक-टिक करती हुई घड़ी की कीमत और पन्नी बिछाकर बैठ जाना एक कोने में और देखना चुप चाप वहाँ का तमाशा। आप को सिर्फ और सिर्फ सच दिखाई देगा, देखोगे की कैसे~~~
~वो लोग जिन्होनें अपनी जिंदगी में सबकुछ भूलकर अपने सपनों को पूरा करने में बिता दी, यहाँ कैसे लपेट के औंधे मुँह पड़े हैं।
~वो लोग जिन्होंने अपने धन सत्ता रूप बाहुबल के अहंकार में,गुरूर में आकर किसी के सामने झुकना नहीं स्वीकारा वो अभी कैसे गिरे हुए हैं और इस कदर गिरे हुए हैं कि बिना चार लोगों के उन्हें उठाया भी नही जा सकता।
~वो लोग जो जिनके पास कभी समय नही रहा लोगों के लिए उन्हें लोग कैसे जलती हुई चिता पर ही छोड़ कर चले जाया करते हैं।
~वो लोग जिन्हें गुमान था अपने हुस्न, अपनी हर एक चीज़ पर, आज कैसे कुछ घंटों के बाद उनका यहाँ कुछ भी अपना नहीं रहेगा हमेशा हमेशा के लिए।
~ वो लोग जिन्होंने ठोकर मार दी उनको जिन्होंने उन्हें सबसे ज्यादा चाहा और आज उनके पास कोई आखिरी लौ बुझने तक साथ बैठने वाला तक नहीं।
~वो लोग जिन्होनें पहनी महंगी घड़ियाँ पर आज पता चला कि समय क्या है।
~वो लोग जिन्होंने पूरी जिंदगी दूसरों को दुःख दिया, उनकी आवाज आज उनकी चटकती हड्डियों से कैसे निकल रही हैं।
देखेंगे की यहाँ जो हो रहा है वही सच है बाकी सब झूठ…
तो सुनो न साथी ! कभी भी किसी को दुःख मत देना!
हाँ हाँ पता है कि दुनिया के सबको खुश नही रखा जा सकता पर हर कोई आपसे दुखी भी नही हो सकता। अभी मैं कुछ भी कर दूँ, कितना भी बुरा, उससे दुनिया के बड़े नामचीन, बड़े मशहूर को कोई फर्क पड़ने वाला है क्या?
नही न ?
तो भईए आप से दुःखी वही होगा जो आप से प्यार करता हो, जो आप से जुड़ाव रखता है। तो अगर आप किसी को खुशी नही दे सकते तो पहले ही बोल दीजिए और उसे भी उन्ही बाकी के नामचीन मशहूर वाले कैटेगरी में डाल दीजिए, वरना एक बार जुड़ जाने के बाद कभी भी किसी को मत रुलाइए अपनी वजह से, अपनों की वजह से..
”हमारी माता जी” कहती थीं कि कभी किसी की ”आह” नही लेनी चाहिए” वरना ये आहें चीखती हैं, चिल्लाती हैं, जलती हुई हड्डियों से, इसकी आवाज दूर तक शमसान में गूँजती है और उस वक्त कोई सुनने वाला नही होता। एक दिन तो इस शरीर को अकड़ ही जाना है इसलिए तब तक के लिए अपनी अकड़ थोड़ा किनारे रख लीजिए।
तो मालिकों बंधुओं मित्रों ! बात एक रात की है बस, जाइए कभी मणिकर्णिका, सब सीख जायेंगे बिना किसी के सिखाए, यकीन करिए अगली सुबह अपना बैग, घड़ी, जूते और शायद खुद को भी साथ लेकर वापस आने का भी मन नही करेगा।
क्योंकि जलती हुई हड्डियों की चीखें बहुत सन्नाटा भर देती है अंदर जो किसी का दर्द, दुःख हँसते हुए ले लेने के लिए काफी रहेगा हमेशा के लिए।
मुझे नहीं पता कि आप किस शहर में रहते हैं लेकिन कभी दिमाग में स्वयं के विधाता होने का गुरूर छा जाए तो बैग में एक-काध कपड़े रख के किसी दिन निकल पड़िए काशी और

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