वर्तमान उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने माफिया गिरी ख़त्म कर दी, राजनैतिक दादा गिरी ख़त्म दी, राजनैतिक VIP समाप्त कर दिए, पर VIP व्यवस्था हद से ज़्यादा बढ़ गई. पहले भी VIP होते थे, पर वह बस बड़े बड़े नेता ही होते थे. नेताओं वाली VIP व्यवस्था कम हुई तो प्रशासन VIP बन गया.
कल जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बाँके बिहारी मंदिर में प्रशासन VIP अर्थात् पुलिस वालों, IAS अधिकारियों, पत्रकारों, न्यायाधीशों के नाते रिश्तेदार, मित्रों, बच्चों को सुविधाएँ देने, उनकी फ़ोटो खिंचवाने और अच्छे दर्शन कराने में व्यस्त था, अव्यवस्था फैली और दो भक्तों की मृत्यु हो गई. ढेरों लोग घायल हुवे. घटना की जाँच होगी, जाँच वही लोग करेंगे जो VIP थे
लखनऊ में शहीद पथ पर चले जाइए, एक हिस्सा आधे समय बंद ही रहता है. पता नहीं कौन और कितने VIP हो गए हैं जो दो वर्ष पूर्व नहीं थे. दूसरा हिस्सा लूलू माल ने क़ब्ज़ा कर लिया है वह तो खैर पर्मनेंट VIP हैं ही.
हवाई अड्डे चले जाइए, आधी सुविधाएँ, यहाँ तक कि आधी रोड VIP के लिए रिज़र्व है. हर टोल प्लाज़ा में चार में एक लेन पर्मनेंट VIP के लिए रिज़र्व है.
कहाँ से अकस्मात् इतने VIP आ गए जबकि केंद्र और प्रदेश सरकार ने लाल बत्ती कल्चर पहले कार्य काल में ही समाप्त कर दिया था. ज़्यादातर केस में यह सो कॉल्ड VIP लोकल थाने वाले, अधिकारी, लोकल काम करने वाले, इन सबके नाते रिश्तेदार, इष्ट मित्र होते हैं. अब यह VIP व्यवस्था जान लेने लगी है तो कहीं न कहीं सख़्ती की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश जैसे विकास शील प्रदेश में मुख्य मंत्री, चीफ़ जस्टिस के अलावा शायद कोई तीसरा व्यक्ति ऐसा नहीं होना चाहिए जिसके लिए आम जनता की जान से खिलवाड़ किया जाए, उसे रोक, उसे परेशान कर प्राथमिकता दी जाए. दुर्भाग्य वस आज की तारीख़ में दस प्रतिशत जनसंख्या VIP हो गई है.