ओवैसी मदरसा की आड़ में मुस्लिम साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दें रहें हैं
एक देशज पसमांदा डा० इफ्तेखार अहमद जावेद जो ABVP, BHU के कार्यकर्ता रहें हैं, जब से मदरसा बोर्ड का कमान संभाला है लगातार रिफॉर्म का प्रयास कर रहें हैं
क्या संविधना में सिर्फ आर्टिकल 30 ही है?
सरकारी अनुदान से चल रहें मदरसा का मैनेजर, शिक्षकों को सैलरी से एक तय अमाउंट हर महीने ले लेते हैं
जितनी भी संस्थाएं या संगठन अल्पसंख्यक और मुसलमान के नाम से चल रहीं हैं उस पर अशराफ वर्ग के कुछ परिवार विशेष कब्जा है और उसे कॉरपोरेट की तरह चला रहें हैं
पसमांदा संविधान से गवर्न होना चाहता है ना कि अशराफवाद से मदरसा, वक्फ बोर्ड, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हर जगह ये अपना अशराफवाद चला रहें हैं
मध्ययुग का सामंतवादी सिस्टम चला रहें हैं
इस्लाम की आड़ में बड़ी आसानी से अपने गुनाह को छुपा लेते हैं
अशराफ वर्ग ने कभी भी शिक्षा, रोजगार,स्वास्थ्य को मुसलमानो की समस्या नहीं बताया, वो सिर्फ भावनात्मक बातों,उर्दू, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, बाबरी मस्जिद आदि को मुसलमानो की समस्या बताता रहा है
मदरसा में बच्चों के लिए जो स्कॉलरशिप आता है उसमें भी मैनेजमेंट अपना हिस्सा ले लेता है