यह क़िस्सा अमेठी का है। हुआ यह कि जब संजय गांधी ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई तो सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों में होड़ सी मच गई , अपने-अपने प्रदेश की सीट दिखाने की। कि यहां से लड़िए , यहां से लड़िए !
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी ने भी पेशकश की। रायबरेली जहां से तब के दिनों इंदिरा गांधी चुनाव लड़ा करती थीं , अमेठी उस रायबरेली के बगल में था। नारायणदत्त तिवारी ने संजय गांधी को हेलीकाप्टर से अमेठी घुमाया। तब सर्दियों के दिन थे। अमेठी का अधिकांश ऊसर है। ऊसर ज़मीन पर सरपत अपने आप उग आती है। और सर्दियों में सरपत ख़ूब हरा-भरा दिखता है। संजय गांधी को यह हरियाली बहुत अच्छी लगी। भा गई।
तो गुड़ बोओ , पेड़ बोओ कहने वाले संजय गांधी ने नारायणदत्त तिवारी से हेलीकाप्टर पर बैठे-बैठे पूछा , ‘ यह कौन सी फसल है ? ‘ नारायणदत्त तिवारी को भी कुछ नहीं मालूम था। नहीं मालूम था कि कौन से फसल है। पर तिवारी जी ने संजय गांधी को बताया कि , ‘ यहां की सारी फसलें हरी-भरी हैं। ‘ संजय गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया।
वह तो चुनाव के बाद संजय गांधी को पता चला कि अमेठी तो ऊसर है। संजय गांधी ने फिर अमेठी को उद्योग का केंद्र बनाने के लिए सक्रिय हुए। बहुत काम किया। पर असमय उन का एक जहाज उड़ाते हुए हुई दुर्घटना में निधन हो गया। राजीव गांधी ने भी अमेठी का प्रतिनिधित्व किया। पर संजय गांधी के सपनों को पूरा नहीं कर पाए।