Home लेखकMann Jee ब्रज इतिहास -भाग 5

ब्रज इतिहास -भाग 5

Mann Ji

by Mann Jee
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मथुरा और वृंदावन की लूट और क़त्लएआम से प्रोत्साहित होकर जहां खान और नजिब की कुदृष्टि गोकुल पे पड़ी। अब्दाली भी अब तक महावन में आकर डेरा डाल चुका था। जुगल किशोर नामक एक बंगाली टोहिए के साथ अब्दाली ने अपनी फ़ौज को गोकुल की तरफ़ रवाना किया।

अब तक उत्तर भारत में मथुरा जी की खबर फैल चुकी थी- राजा महाराजा अभी भी सोच विचार में डूबे थे कि प्रयागराज बनारस उज्जैन आदि से नागा बाबा के अखाड़े के अखाड़े गोकुल आने लगे। सबको आने में समय था लेकिन लगभग चार हज़ार नागा साधु गोकुल में तैयार थे।

जहाँ खान और नजिब ने जब इन नग्न बाबाओ को देखा जो केवल राख पोते हुए खड़ग, त्रिशूल और चिमटे लिए खड़े थे तो उन्हें यक़ीन नहीं हुआ। अफ़ग़ान बर्बर फ़ौज को लगा ये बाबा की सेना क्या कर लेगी किंतु महाकाल का आशीर्वाद लिए ये सेना रौद्र रूप धर चुकी थी। अफ़ग़ान फ़ौज का उद्देश था लूट क़त्ल और बुतभंजन। नागा सेना को कोई सांसारिक मोह माया नहीं- प्राणो तक का भय नहीं था।

हर हर महादेव के उदघोष के साथ नागा सेना ने जब अपना तांडव प्रारम्भ किया तो अफ़ग़ानियों को छटी का दूध याद आ गया। अनुपगिरि गुसाई, हिम्मत बहादुर और राजेंद्र गिरी गुसाई के नेतृत्व में जब त्रिशूल और खड़ग कौंधे तो सेंट्रल Asia के ये बर्बर चकित रह गए। युद्ध स्थल में इतना रक्त बहा कि भीषण रपटन हो गयी लेकिन ना हर हर महादेव के नारे थमें और ना त्रिशूल।।

अफ़ग़ान सेना की अगली खेप भी आयी लेकिन रात तक नागा सेना ने युद्ध जारी रखा। जहां खान और नजीब को अपने प्राणो के लाले पड़ते दिख रहे थे लेकिन वापस लौटने पर अब्दाली का ख़ौफ़। जुगल किशोर को रिश्वत दी कि वो अब्दाली को ये कह सके गोकुल के मंदिरो में कोई सम्पदा नहीं है। इस प्रकार गोकुल से अफ़ग़ान फ़ौज अपने पाँच हज़ारसे अधिक हत्यारे गँवा कर लौटी।

यद्यपि मथुरा और वृंदावन का विध्वंस हो चुका था , लेकिन गोकुलनाथजी की प्रतिमा और सम्मान नागाओ ने शेष रखा। कई इतिहासकार कहते है नागा सेना पूर्ण साफ़ हो गयी थी लेकिन कुछ कहते है दो हज़ार बाबाओं की प्राण आहुति से गोकुल की रक्षा हुई थी।
अब्दाली को आगे हैज़े का प्रकोप झेलना शेष था।

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