हिंदू, आक्रांता जातियों से परास्त जरूर हुये लेकिन उनकी सीखने की क्षमता जबरदस्त रही। यूनानी लेकर आये तर्कशास्त्र व ज्योतिष और ब्राह्मणों ने उनका ज्योतिष व तर्कशास्त्र उनके ही गले बांध दिया। शक व कुषाण-रकाबें व लॉन्ग बूट लाये, हमने…
देवेन्द्र सिकरवार
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अगर मैं यह कहूँ कि महाभारत युद्ध से पूर्व चाहे जो रहे हों लेकिन युद्ध में कृष्ण के बाद जो सबसे बड़े कूटनीतिज्ञ साबित हुए वह युधिष्ठिर थे तो गलत न होगा। अगर शस्त्रों का क्षेत्र भीम व अर्जुन ने…
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जाति धर्मईश्वर भक्तिचलचित्रदेवेन्द्र सिकरवारप्रेरणादायकमुद्दालेखक के विचार
आदिपुरुष_पर_आपत्तियां_व_मेरा_दृष्टिकोण
by देवेन्द्र सिकरवार 185 views1)राम जी की मूँछें:- अच्छा तो नहीं लगता लेकिन या तो क्लीन शेव दिखाते या दाढ़ीमूँछ दोंनों जो अरण्यवासी होने का प्रतीक होती। 2)सीताजी के वस्त्र:- उस युग में कोई ब्लाउज नहीं थे अतः उत्तरासँग ओढ़े या कंचुकी पहने दिखाना…
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चित्र में दिख रहे दरवाजे का खंडहर कोई सामान्य दरवाजा नहीं है। कभी इस दरवाजे से छः से साढ़े छः फीट लंबे, सुंदर व कठोर शरीर वाले ऐसे भयानक योद्धा निकलते थे जिनकी ख्याति संसार भर में फैली हुई थी।…
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एक राजा राममोहन राय वह हैं जो अपने विवाह का सारा खर्च अकालपीड़ितों को भोजन कराने में खर्च कर देते हैं तो एक राजा राममोहनराय वह भी हैं जो अपनी माता को लाख रोने गिड़गिड़ाने पर भी तीर्थयात्रा पर नहीं…
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मुद्दादेवेन्द्र सिकरवारप्रेरणादायकसच्ची कहानियांसाहित्य लेख
झकझकिया_का_गंगावतरण
by देवेन्द्र सिकरवार 113 viewsआजकल एक तथाकथित ‘मूलनिवासी विद्वान’ राजेन्द्र सिंह का बड़े जोरों से रंग चढ़ा हुआ है इसलिये हमारा भाई चींटे को रेवड़ी की तर्ज पर सीना फुलाकर ‘ही ही ही’ करते हुए अक्सर पूछता हुआ पाया जाता है कि अगर ब्राह्मी…
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ब कोई भी व्यक्ति कुछ बोलता है तो उसके शब्दों से नहीं बल्कि उसके दृष्टिकोण से उसका मंतव्य स्पष्ट होता है। -वल्लभाचार्य जब कृष्ण को ‘रसिया’ कहते हैं और एक वामपंथी उन्हें ‘रसिया’ कहता है तो दोंनों के दृष्टिकोण में…
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यह भारतीय इतिहास की विडंबना ही है कि वे हमेशा यूरोपियन इतिहासकारों के नैरेटिव पर नाचते हुए उनपर प्रतिक्रिया मात्र देते हैं जिसमें एक यह भी है कि सिकंदर के प्रत्यावर्तन किसके कारण हुआ? यूरोपियन इतिहासकार सिकंदर से पुरु की…
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देवेन्द्र सिकरवारज्ञान विज्ञानलेखक के विचारशिक्षासामाजिक
बच्चों_को_क्या_सिखाएं
by देवेन्द्र सिकरवार 125 viewsमुझे अपने बाल्यकाल की याद है जब मेरे पिता प्रति सांय रामायण महाभारत की कथा सुनाते थे। वे मुझे कभी मंदिर लेकर नहीं गए परंतु प्रतिदिन सांयकाल को घर की आरती में खड़ा करते, दादी के चरण स्पर्श करवाते और…
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राजनीतिइतिहासईश्वर भक्तिजाति धर्मदेवेन्द्र सिकरवार
ढाल तथा तलवार और द केरल स्टोरी
by देवेन्द्र सिकरवार 117 viewsप्राचीन भारतीय युद्ध पद्धति में एक बहुत बड़ी खामी थी और वह थी ढाल व कवच को प्रॉपर महत्व न देना। जहाँ स्पार्टन व रोमनों ने विशाल धात्विक ढालों का प्रयोग कर असाधारण रणनीतिक घातकता प्राप्त की वहीं हिंदू सैनिकों…