मुझे पता है कि आप लॉलीपॉप पसंद करते हैं और ठोस भोजन से बचें, फिर भी मैं आपसे प्यार करता हूँ और आपकी आदत बदलना चाहता हूँ। यहाँ मेरी किताब का एक टुकड़ा संपादित किया जा रहा है: इतिहास मानवता…
Bhagwan Singh
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लेखक के विचारBhagwan Singhसामाजिकसाहित्य लेख
आचार्य द्विवेदी आचार्य नहीं थे
by Bhagwan Singh 50 viewsदुर्भाग्य के कई रूप होते हैं, इनमें से एक है आप का महिमामंडन करने के लिए किसी ऐसे शब्द का प्रयोग जो किसी सिली सिलाई पोशाक की तरह आपको फिट न आता हो; जिसमें आप कसे और फँसे अनुभव करें;…
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क्या आपने कभी सोचा है कि मुस्लिम बुद्धिजीवी किसी से कम संवेदनशील न होते हुए भी मुस्लिम समाज में व्याप्त विकृतियों के प्रति संवेदनशून्य क्यों हो जाता है ? यह दिखावा करने के लिए कि वह अपने समुदाय के प्रति…
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हमारे भीतर सर्जना है अपरिपक्व अवस्था में ही तुकबंदी के रूप में व्यक्त होती और आप में यह विश्वास या भ्रम जगाती है कि आप कवि हैं । आप कविता करते जिंदगी गुजार देते हैं और किसी दूसरे काम के…
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13 का दिन मेरे लिए सौभाग्यशाली दिन था। मेरे अनुज जनार्दन सिह के स-फल वैवाहिक जीवन की पचासवीं वर्षगांठ थी। जो लोग वर्षगांठ का प्रयोग करते हैं उनमें से शायद ही कोई इसका इतिहास जानता हो। यह उस जमाने का…
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मेरी दादी जीवित नहीं थीं। मां थी। वह मेरे तीसरे साल में विदा हो गई। मुझे मेरी विमाता ने पाला और दादी की कहानियां सौतेली मां के मुख से सुनने को मिलीं। और कुछ और बड़ा होने पर बचानी की…
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मुझे उस मुसलमान की तलाश करनी होगी जो न जानता हो कि नूपुर शर्मा ने जो कुछ किसी उकसावे में कह दिया और किसी बहाने की तलाश करने वाले उसका उपयोग करते हुए भारत में भी ईशनिंदा को स्वीकार्य बनाने…
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पुराणों में जातीय स्मृति हिमयुग की चरम सीमा 20,000 साल से पीछे (स्वर्लोक) तक जाती हैं। इसमें यवनों (ग्रीकों), हूणों, चीनों (तुषारों/तुखारियों ), दरदों (अफगानों). पल्लवों(पहलवियों), शकों के आक्रमणों का भी हवाला है, पर किसी ऐसे आक्रमण की सूचना नहीं…
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हम स्लेव कभी नहीं रहे। यह अवधारणा (कांसेप्ट) ऐसी है जिसके लिए हमारी भाषा में कोई शब्द नहीं है। इसलिए इस अमाननीय प्रचलन के लिए, इससे कुछ निकट पड़ने वाले शब्द, दास को इसका पर्याय बना दिया गया। परंतु यह…
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पार्जिटर ने अपनी विफलताओं के बाद भी कुछ प्रश्न ऐसे उठाए हैं, जिनको उस दबाव से बाहर रख कर समझें, जिसमें वह काम कर रहे थे, तो भारतीय इतिहास की अधिक गहरी समझ पैदा होती है। इतना ही नहीं, दूसरे…