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Comrade याद है : मार्क्स और लेनिन के अधोजटाओं का शौर्य दिवस | प्रारब्ध | रंजय त्रिपाठी

लेखक : रंजय त्रिपाठी

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 भारत के कॉम्युनिस्ट लोगों के लिए खास दिन था ….. ३० April …. क्या Comrade याद है – 30/04/1982 … याद दिला दूँ ????
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तो comrade लोग 30 April आप मार्क्स और लेनिन के अधोजटाओं का शौर्य (शेम) दिवस  ….
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जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संविधान, right to protest की दुहाई देते फिरते हैं ये चीन के दलाल (दलाल असंसदीय शब्द नहीं है – ऐसा चीन के एक चूँ चूँ काम्रैड ने समझाया था)… उन्ही सबका राज था पश्चिम बंगाल में बोले तो CPI – M का … ज्योति बासू नामक एक चीप मिनिस्टर था ….
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अनंदमार्गी सन्यासियों का एक जुटान हुआ था कलकत्ता में इस दिन … इस दिन comrade लोगों ने मिलकर मन्त्री कॉमरेड कान्ति गांगुली, सचिन सेन तथा अन्य comrade निर्मल हल्दर, अमल मजूमदार के नेतृत्व में बहुत बहादुरी से 17 लोगों को पीट पीट कर अधमरा किया और तेल डालकर जिंदा जला दिया …. जिसमें एक महिला थी …
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इन सबको दिन दहाड़े बिजोन सेतु से टैक्सी से खींचकर उतारा .. मारा और तिलजला ले जाकर जिंदा जला दिया ….
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इन चीनी दालों के पोसे अख़बारों statesman, , Sunday, India Today, ने इसको भींड़ द्वारा हिंसा का रिपोर्ट किया … अंतरात्मा बेचने का अद्भुत कार्य रहा है ये ….

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