संसार में एकाध बार ऐसे दौर आये जब एकाध वर्ष के लिए कोई नगर या राज्य ‘क्राइम फ्री’ रहा है लेकिन उसके मूल में सदैव कठोर दंड व्यवस्था पाई गई।
लेकिन विश्व के एक विशाल भूखंड पर जन्मा था, एक ऐसा साम्राज्य जहाँ न तो अपराध था और न ही दंड।
है न विरोधाभास! ऐसा कैसे संभव है? कठोर दंड के बिना अपराधशून्यता कैसे??
पर ऐसा हुआ!!
नागरिक स्वअनुशासित,
कोई ताला नहीं,
कोई चोरी नहीं,
गहनों से सजी सुंदर युवती रात्रि में नीरव मार्गों पर भी निःशंक भ्रमण पर,
ऊपर से नीचे तक संपन्नता,
दूध, घी और शहद की बहती नदियाँ,
विज्ञान शेष विश्व से दोसौ वर्ष आगे,
सभी पंथों में सद्भावना,
नहीं, ये मेरा दिया हुआ काल्पनिक विवरण नहीं है बल्कि एक चीनी यात्री का विवरण है जिसने यह सब अपनी आँखों से देखा और डायरी में दर्ज किया।
यह चीनी यात्री था, फ़ा हियान!
यह भूखंड था, भारतवर्ष!
और वह सम्राट जिन्होंने भारत भूमि पर इस स्वर्ण युग को उतार दिया था वह थे-
“चक्रवर्ती सम्राट समुद्रगुप्त ‘महान’ के पुत्र और अफगानिस्तान से सिंहल तक के आसेतु चक्रवर्ती चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ‘महान’!”
किन कठिन परिस्थितियों में गुजरते हुए साम, दाम, दंड, भेद की नीति द्वारा इस महानतम सम्राट ने विश्व की 35 से 40% अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हुए, एक -दो नहीं बल्कि आगामी सौ वर्ष के लिए इस स्वर्णयुग का निर्माण किया, उसे जानिये।
विश्व के सफलतम प्रशासक व महानतम सम्राट के विषय में जानिये।
Crime Free State
अनसंग हीरोज:#इंदु_से_सिंधु_तक' - देवेन्द्र सिकरवार
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