Home मीडिया दोहरे लोगों का समाज

दोहरे लोगों का समाज

Ashish Kumar Anshu

by Ashish Kumar Anshu
208 views

एक बड़ी पत्रकार अपने पति के साथ मिलकर केन्द्र सरकार के खिलाफ सक्रिय गिरोह का हिस्सा हैं। दूसरी तरफ उनके सगे पिताजी उनकी सगी मां के ईलाज का हवाला देकर केन्द्र सरकार से मदद मांग रहे हैं। अपनी लंबे पत्रकारिता कॅरियर की दुहाई दे रहे हैं।

क्या ये बड़ी पत्रकार और इनके पति मिलकर भी एक ‘मां’ का सही प्रकार से ईलाज नहीं करा पा रहे कि इनके पिताजी को सरकार के सामने मदद की गुहार लगानी पड़ रही है।

इस लेख का उद्देश्य सिर्फ उस प्रवृत्ति की तरफ संकेत करना है, जिसमें ‘पक्षपात’ हावी होता जा रहा है। यह सारा वह गिरोह है, जिसकी कांग्रेस सरकार में खूब पूछ रही। 2014 के बाद ये लोग हासिए पर चले गए या फिर यू ट्यूब पर आ गए। इनकी 2014 से पहले वाली धमक नहीं रही।

यदि इनकी पहचान कांग्रेस नेताओं की करीबी से नहीं बल्कि पत्रकारिता से रही है तो पत्रकारिता ये आज भी कर रहे हैं लेकिन अब इनके कहे में वह ताकत नहीं रही। ये कुछ बदल नहीं पा रहे। ना ही अब पब्लिक इन पर विश्वास करती है।

जब परिवार में बुढ़ी मां को बाप के भरोसे दर दर भटकने को छोड़कर परिवार के लोग बाहर की दुनिया में क्रांति तलाशेंगे फिर कैसे ऐसे दोहरे लोगों पर समाज विश्वास कर पाएगा?

Related Articles

Leave a Comment