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शतरंज का घोड़ा” मोहम्मद ज़ुबैर उनका “ओमेर्टा कोड

Ranjana Singh

by रंजना सिंह
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दस जनपथ व वामपंथियों की Ecosystem का “शतरंज का घोड़ा” मोहम्मद ज़ुबैर और उनका “ओमेर्टा कोड” …

भारतवर्ष के किसी भी भाग में, चाहे वह अति दूरस्थ या दुर्गम इलाके में भी रहने वाले किसी शांतिदूत को कोई भी थप्पड़ मार दे तो उनके Ecosystem से संबधित मीडिया वहाँ तुरंत पहुँच जाती है और यह साबित करने में पूरा ताकत झोंक दिया जाता है कि मोदी सरकार कितनी बड़ी फासिस्ट है, तानाशाह है!

ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ्तार हुए इतने दिन हो चुके हैं लेकिन आज तक उसके परिवार का एक भी बयान सामने नहीं आया है!

ना बाप, ना माँ, ना बीवी, ना बच्चे… सामने आना तो छोड़िए लेफ्ट इकोसिस्टम के मीडिया ने जुबैर को लेकर कोई मानव कहानी(बेचारा गरीब मास्टर का बेटा टाइप) भी नहीं बनाई है और न ही अभी तक उसे एक सीधा साधा फैमिली मैन साबित करने की कोशिश की.. क्या आप लोगों को यह सब कुछ हैरान नहीं कर रहा..?

क्या आपको ये कुछ अजीब नहीं लग रहा कि वामपंथी मीडिया जुबैर की फैमिली के मामले में इतने सीक्रेसी क्यों मेन्टेन कर रखी है? जबकि वो आतंकवादियों को भी हीरो की तरह प्रोजेक्ट करने की कोशिश करता रहा है… तो इसका जवाब एक शब्द में छिपा है… और वो शब्द है *Omerta*

इस शब्द को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में कुछ इस तरह डिफाइन किया गया है: *Omerta:* Among the Mafia a code of silence about criminal activity, and refusal to give evidence to the Police.

यानी शुद्ध हिन्दी में कहें तो *ओमेर्टा* माफिया के बीच आपराधिक गतिविधि के बारे में चुप्पी और पुलिस को सबूत देने से इनकार करना! इसे और भी आसान भाषा में कहें तो ओमेर्टा: याने माफिया वर्ल्ड का एक ऐसा *अलिखित कानून*… एक ऐसा *अलिखित संविधान* जिसका पालन हर माफिया करता है…

हर माफिया ना तो एक दूसरे के बारे में, और ना ही एक दूसरे के परिवार के बारे में कानूनी एजेंसियों को सूचना देते हैं!

बस ये समझ लीजिए कि भारत में वामपंथी Ecosystem भी एक *माफिया वर्ल्ड* है जो पारम्परिक माफिया और लेफ्ट इकोसिस्टम के माफिया में बस यही अंतर है कि *पारम्परिक माफिया अपराध करता है* और *वामपंथी Ecosystem के माफिया एंटी हिन्दू गतिविधियों में लगा रहता है!*

भारत में सभी वामपंथी एंटी हिन्दू एजेंडा और नैरेटिव चलाते हैं और इससे भारी भरकम विदेशों से पैसे कमाते रहते हैं!
क्या किसी को पता है मोहम्मद जुबैर की 2012 से पहली की हिस्ट्री? किसी को भी पता नहीं है वह कहाँ रहता था?
क्या काम करता था?
कहाँ काम करता था?
उसके घर व परिवार कहाँ है?

एकाध बड़े न्यूज चैनलों ने उसके बांग्लादेसी होने के सबूत दिखाए भी तो उसी चैनल पर न बाद में उसकी कोई पोल खोल हुई,न ही आगे कहीं और कोई और चर्चा।

पिछले 5 सालों से जुबैर इतना चर्चित रहा है,उसका फैक्ट चेकर चैनल इतना पॉपुलर प्रतिष्ठित रहा है, किन्तु जुबैर के व्यक्तिगत जीवन,परिचय का कभी कोई उल्लेख कहीं नहीं होता,हुआ। पता करने पर केवल इतना पता चला कि जुबैर का घर बैंगलुरू के उसी डीजे हल्ली इलाके में है जहाँ दो साल पहले 2020 में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर शांतिदूतों ने दंगे किए थे और जुबैर का ऐसा जलवा था कि पुलिस जब जुबैर को लेकर उसके डीजे हल्ली वाले घर में लेकर गई और एक न्यूज़ चैनल ने उस खबर का वीडियो यूट्यूब पर डाला तो यूट्यूब ने उस वीडियो को ही डिलीट कर दिया!

ऐसा जलवा है जुबैर का और इसी जलवे में जुबैर का राज़ छिपा है!

कुछ साल पहले तक *Unoffical Susu Swamy* नाम से सोशल मीडिया अकाउंट चलाने वाला मोहम्मद जुबैर नाम का शख्स आता है ओर Alt News की स्थापना करता है और एकदम अचानक वामपंथी Ecosystem का एक हीरो बन जाता है। और तो और एकदम से एंटी मोदी कैम्प का जरिया बन जाता है, आतंकवादियों का बचाव करता है, एंटी हिन्दू नैरेटिव चलाता है और उसके द्वारा वायरल किए गए एक आधे-अधूरे क्लिप से भारत में दंगे हो जाते हैं।कई लोगों की जान चली जाती है फिर भी वामपंथी इको सिस्टम उसे सर आँखों पर बिठाए रखता हैं, इतना सब कुछ करने के बावजूद वो लगातार प्रमोट होता रहता है और नौबत यहाँ तक पहुँच जाती है कि UN से लेकर जर्मनी तक उसकी गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज कराते हैं।

कौन है ये मोहम्मद जुबैर?
इसकी पहुँच कहाँ तक है?
और इसके पीछे कौन लोग हैं, कभी सोचा है आप लोगों ने?
नहीं सोचा होगा।

सच तो ये है कि जुबैर को एक बहुत बड़े प्लान के तहत इस देश में प्लांट किया गया है… और उसे प्लांट करने में केवल गल्फ कंट्रीज ही नहीं बल्कि कुछ पश्चिमी देशों की, Organization का भी हाथ है जिसमें अंकल सैम के देश का *Business Tycoon* है, हिंदूविरोधी *जॉर्ज सोरोस* है। यही वजह है कि जुबैर को इतने जबरदस्त तरीके से प्रमोट किया जाता है। प्रतीक सिन्हा और उनकी माँ निर्झरा सिन्हा भी ऑल्ट न्यूज़ के डायरेक्टर हैं परंतु सारी लाइम लाइट जुबैर पर ही रहती है।

ये सब कुछ ऐसे नहीं हुआ… जुबैर को लाइम लाइट में रखने के लिए बहुत पैसे और संसाधन खर्च किए जा रहे हैं, क्योंकि उसके सहारे भारत की इमेज खराब करनी है।

इस बात को केन्द्र सरकार भी जानती है, लेकिन उस पर हाथ नहीं डाल रही थी क्योंकि सबूत चाहिए और सरकार सबूत जुटा रही थी… बेशक सरकार हमारी है लेकिन System तो अभी उन्हीं का है .. खैर सरकार को बहुत सारे सबूत मिल चुके हैं… इसीलिए उस पर अब शिकंजा कसा जा चुका है। ऐसा नहीं है कि जुबैर को सिर्फ एक ट्वीट के चलते अरेस्ट किया गया है,बहुत सारा कुछ खोज में मिल चुका है। जुबैर की गिरफ्तारी बहुत हिम्मत का काम था, क्योंकि यह उस शतरंज का प्यादा नहीं बल्कि ऐसा घोड़ा है जो ढाई चाल चलकर मार कर सकता है।

लेकिन शतरंज की मेज पर दूसरे छोर पर बैठा खिलाड़ी जानता है कि घोड़े को कब और किस चाल से मारा जाता है।इसलिए मोहम्मद जुबैर की जमानत दिलाने में देशद्रोहियों ने अपना हाथी (सुप्रीम कोर्ट) को आगे कर दिया।बाबाजी के चंगुल में रहते इसका निस्तार नहीं था तो बड़े हाथी ने सारे नियम कानून संविधान को ताक पर रखकर न केवल इसको बेल दी,इसपर चढ़े SIT को भंग करने का आदेश दिया,अपितु यूपी से सारे केस दिल्ली शिफ्ट करवा कर इसे अभेद्य कवच कुंडल पहना दिए।

हालाँकि घोड़े को रक्षित करने के इस क्रम में हाथी ने अपना विद्रूप चेहरा भी जनता के सम्मुख लाकर वे पूरी तरह नंग धड़ंग खड़े हो गए,जिसका दुष्परिणाम उन्हें भविष्य में अवश्य ही भोगना पड़ेगा।भविष्य में देश को कुतरने वाले सभी चूहों के बिल खुदेंगे और चूहे दुर्गति को प्राप्त होंगे ही होंगे।

वस्तुतः यह समुद्र मंथन का काल है। इसमें आवश्यक है कि राष्ट्र से प्रेम है तो सत्य के पक्ष में एकत्रित रहिये।एक से बढ़कर एक हलाहल निकलेगा,उसके उपरान्त ही अमृत निकलेगा।एकजुट रहिये,जागरूक रहिये,धैर्य और आत्मविश्वास रखिये और नेतृत्व को अपना बल दीजिये।

!जयहिंद, जय भारत!

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