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Rocketry: The Nambi Effect

Om Lavaniya

by ओम लवानिया
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लगता है पृथ्वीराज की असफलता अक्षय कुमार का पीछा नहीं छोड़ रही है पहले दर्शकों ने फ़िल्म को पूरी तरह नकार दिया। उसके बाद लेखक-निर्देशक ने अक्खे कुमार के विमल केसरी को लोगों में गुस्सा करार दिया, जिसका प्रभाव फ़िल्म पर पड़ा।
तो वही, आदित्य चोपड़ा ने तो अक्की के डेडिकेशन पर सवालिया-निशान लगा दिया। कि पीरियड कंटेंट को भी नॉर्मल की तरह लिया। ख़ैर
इन दिनों अभिनेता आर माधवन अपनी पीरियड फ़िल्म कम बॉयोपिक रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट के प्रमोशनल कार्यक्रम में काफ़ी व्यस्त है। एक इवेंट में माधवन ने पत्रकार के सवाल के प्रतिउत्तर में कहा कि 40 दिन में सिर्फ़ मज़ाक बनता है फ़िल्म नहीं, इसमें वक्त लगता है।उनका उत्तर अक्खे कुमार व उनके प्रशंसकों को निराश कर सकता है।
माधवन अपने कंटेंट में भारतीय एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन के जीवन को 70एमएम के पर्दे पर ला रहे है। तमिल अभिनेता आर माधवन फ़िल्म में लेखन-निर्देशन-अभिनय में नजर आएंगे। वे नंबी से मुलाकात करेंगे। शारुक खान कैमियो करेंगे।
बैडमैन गुलशन ग्रोवर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के साथ आएंगे।
अनंत महादेवन इस प्रॉजेक्ट को सिल्वर स्क्रीन पर लाने वाले थे और मलयालम अभिनेता मोहन लाल को केंद्र में लिया गया। कंटेंट का प्लॉट पत्रकार सीपी सुरेंद्रन की रिपोर्ट तैयार कर रही थी। फ़िल्म को द विच हंट के टाइटल में मलयालम भाषा में बनाया जा रहा था। लेकिन डील परवान न चढ़ सकी। अंततः निर्देशक महादेवन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जासूसी मामले पर आधारित आईडिया को आर माधवन को सुपरपास किया।
आर माधवन ने 2 साल तक स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले पर साइलेंट रूप से काम किया और अप्रैल 2017 में उन्होंने घोषणा की, “एक गुमनाम नायक की असाधारण कहानी, लाने जा रहे है जो न तो एक अभिनेता था और न ही एक खिलाड़ी”। माधवन ने नंबी के सफर 27 से 75 साल में सभी तथ्यों व घटनाक्रमों को जोड़कर तैयार किया है और इसे रॉकेट्री-द नंबी इफेक्ट्स नाम दिया है।
माधवन ने बतलाया है कि अपने करियर के सबसे बड़े प्रॉजेक्ट को बायोपिक नहीं कहेंगे, बल्कि एक शानदार दिमाग और भारत की एक गहन जांच कहेंगे।
बीते दिनों प्रमोशनल इवेंट में अभिनेता ने तमिल भाषा में बतलाया कि इसरो रॉकेट लांच में हिन्दू पंचाग का उपयोग करते है। मंगल मिशन में भी किया और पहले प्रयास में सबसे कम बजट में सफलता प्राप्त की। माधवन की इस बात को एक्टिविस्ट और म्यूजिशियन टीएम कृष्णा ने अनुवादित सेगमेंट को तंज में सांझा किया। उसके बाद माधवन को ट्रोलर ने घेर लिया।
दरअसल, आर माधवन ने कहा ‘भारतीय रॉकेट्स के पास तीन इंजन नहीं थे, जो कि वेस्टर्न रॉकेट्स को मार्स के ऑर्बिट में आगे बढ़ने में मदद करता है। चूंकि, भारत में ये नहीं होने की वजह से, उन्होंने पंचांग हिंदू कैलेंडर की जानकारी का इस्तेमाल किया।’
‘इसमें विभिन्न ग्रहों पर सभी जानकारी के साथ नक्षत्रिय नक्शा, उनका गुरुत्वाकर्षण, सूरज की आग को सामने से हटाना आदि, सभी का कैलकुलेशन हजारों साल पहले किया गया था और इसलिए मार्स मिशन में रॉकेट लॉन्च के माइक्रो सेकेंड का कैलकुलेशन पंचांग में दी गई जानकारी के जरिए किया गया।’
यक़ीनन! इसरो के सनातन धर्म से जुड़ाव को लेफ्ट विंग व अन्य विज्ञान समर्थक कैसे पचा सकेंगे। आखिर विज्ञान को हिन्दू धर्म से प्रेरित बतलाया है। सबका माधवन पर टूटना लाज़मी था। टीएम कृष्णा ने इसरो से पूछा कि इतनी महत्वपूर्ण जनाकारी अपनी वेबसाइट पर क्यों नहीं डाली है।
सनातन के अलावा किसी अन्य किताब का जिक्र होता तब सोशल मीडिया पर ऐसा बखेड़ा न होता। चूंकि माधवन ने हकीकत क्या बतला दी, सब को मिर्च लग गई। सच कड़वा होता है न, हर कोई डाइजेस्ट नहीं कर सकता है। उल्टियां हो जाती है, हो गई। लेकिन सच्चाई छिपती नहीं है, विज्ञान जो भी तलाश रहा है उसका आधार सनातन है और रहेगा।
माधवन के वक्तव्य को पूरा समर्थन है। सिने जगत में रहकर भी इनका अपने धर्म पर विश्वास दृढ़ है और अच्छे से फॉलो करते है। परिवार को भी अपनी संस्कृति व धर्म से जुड़े रहने को प्रेरित करते है।
रॉकेट्री के नंबी इफेक्ट्स 1 जुलाई 2022 में नज़दीकी सिनेमाघरों में पहुँचने वाली है। फ़िल्म सफल-असफल कोई भी स्टेटस ले। माधवन ने ख़ूब मेहनत की है और वक्त दिया है।

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