Story of Consorting Ferm Arthur Anderson

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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विश्व की सबसे बड़ी कन्सल्टिंग फ़र्म थी आर्थर एंडरसन. कम्पनी के हज़ारों हाई प्रोफ़ायल clients में एक client था enron. एनरान ने अकाउंटिंग फ़्रॉड किया था और कम्पनी दीवालिया घोसित हुई.
अब कोई क्लाइयंट फ़्रॉड कर दे तो इसमें एंडरसन की क्या गलती? लेकिन बात यह कि उन्होंने फ़्रॉड किया तो किया तुम ऑडिट में फ़्रॉड क्यों न पकड़ पाए. इस एक घटना से एंडरसन की इतनी नाक कटी कि उनके clients और स्टाफ़ छोड़ कर भागने लगे. दो साल के अंदर एंडरसन दीवालिया घोषित हो गई. एंडरसन कितनी बड़ी कम्पनी थी इसका अंदाज़ा इस बात से लगाइए कि उनकी सोफ्टवेयर डिवीजन को अलग कम्पनी बना दिया गया था जो आज एसेंचर नाम से विश्व की सबसे बड़ी सोफ्टवेयर कन्सल्टिंग कम्पनियों में आती है. पर एक गलती की वजह से कम्पनी बंद हो गई. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने एंडरसन को क्लीन चिट दी कि क़ानूनी तौर पर उनकी कोई गलती न थी. पर क़ानून ही सब कुछ नहीं होता, कुछ एथिक्स भी होते हैं.
एनरान के कुछेक डिसीजन मेकर्स ने आत्म हत्या तक कर ली थी. इस अपराध बोध की वजह से कि उनके सही निर्णय न लेने की वजह से लाखों लोगों के शेयर के पैसे डूबे. आप इतिहास ढूँढ लीजिए, लम्बी लिस्ट मिलेगी लोगों की जिनकी गलती से यदि जनता का नुक़सान पहुँचा तो लोगों ने आत्म हत्याएँ कर ली अपराध बोध से.
हर व्यक्ति में अपने कार्य के प्रति ज़्यादा नहीं इतना तो कर्तव्य बोध होना चाहिए. खूब घूस खोरी करिए, कमीशन खाइए पर इतना कर्तव्य बोध तो हो कि यदि आपकी वजह से किसी निर्दोष की जान गई तो क़सम से ज़्यादा नहीं कम से कम आपके हलक से निवाला नहीं उतरना चाहिए.
भारत में फ़ॉल्टी डिज़ायन, भ्रस्टाचार वस हुवे ख़राब कन्स्ट्रक्शन / मेंटेनेंस/ पुलिस की घूस खोरी से रोज़ हज़ारों जाने जाती हैं. यहाँ तक देखा है कि रोड ऐक्सिडेंट में पुलिस तक जेब से पैसा निकाल लेती है पर ट्रीटमेंट नहीं करवाती क्योंकि बच जाएगा तो मेरी शिकायत न कर दे.
मुझे नहीं समझ आता ऐसे लोग रात को अपने घर में बैठ खाना कर सो कैसे पाते हैं.

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