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ये देश एक विशाल भठियारखाना है

Swami Vyalok

by Swami Vyalok
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ये देश सचमुच एक विशाल भठियारखाना है। यहां प्रतीकों का, हुतात्माओं का, बलिदानों का और इतिहास का जिस तरह से बलात्कार हुआ है, जिस तरह से उनको पतित-धर्षित किया गया है, वह कहीं भी दुर्लभ ही है।
जो भगत सिंह देश के लिए फांसी पर चढ़ गए, मौत को गले लगा लिया, उन पर दावा किसने ठोंक दिया? करमजले वामपंथियों ने, जिन्होंने इस देश के टुकड़े करने में कोई कसर न छोड़ी, एक शहरी नक्सल खुद को उनकी औलाद बताते हुए वीर सावरकर को गाली देता है। उन्हीं सावरकर को, जिनकी किताब को छपवाकर वीर भगत ने बंटवाया, जिनसे प्रेरणा पाकर वह क्रांतिकारी बने।
खैर, सावरकर को दो कौड़ी के लोग जब गाली देते हैं, तो वे नहीं जानते कि ऊपर फेंका गया थूक वापस उन पर ही जा रहा है। सुप्रिया श्रीनेत जैसी बड़बोली महिला पूछती है कि सावरकर ने किस आंदोलने में हिस्सा लिया, जो कांग्रेस कर रही थी। एक परिवार की निर्लज्ज भक्ति में वह यह भी भूल गयी है कि सावरकर का कद किसी भी पार्टी से बड़ा था।
25 साल पहले जब निर्लज्ज, धूर्त, देशद्रोही वामपंथी जेएनयू में पूरी ताकत से सावरकर के बारे में दुष्प्रचार कर भी सच्चाई को नहीं रोक पाए, तो अब तो सोशल मीडिया पर ये सारे के सारे ‘रणबीर सिंह’ ही हो गए हैं।

खैर, इस देश में तो चार लाइन देखकर शुद्ध हिंदी न बोल पानेवाला एक घोषित अपराधी लालू प्रसाद का बड़बोला बेटा तेजस्वी भी सिर झटककर और फटकारकर कुछ भी बोल सकता है, देश की होनेवाली राष्ट्रपति का अपमान कर सकता है।
यह आठवीं फेल भ्रष्टाचार कुल-दीपक कई महानुभावों के मुताबिक बिहार का मुस्तकबिल भी है। कौन जाने, कल ये मुख्यमंत्री भी बन सकता है। (कल की पोस्ट में भजप्पा की काबिलियत का संकेत जो मैंने दिया था, वो इधर से ही जाता है)।

श्रीलंका के हैप्पीनेस इंडेक्स के बाद मार्किट में नया आया है। नाइजीरिया से गरीब। ये दो कौड़ी के वामपंथी-कांग्रेस अर्थशास्त्री यह नहीं बताते कि कोई भी औसत भारत में स्वत: बेमानी इसलिए हो जाता है कि यहां 140 करोड़ नरमुंड, 30 से अधिक प्रांत-केंद्रीय शासन वाले प्रदेश, 1000 भाषाएं और आधे दर्जन से अधिक रिलिजन, मजहब और धर्म को भी संज्ञान में रखना होगा।
इन मुख-बवासीर ग्रस्त लोगों का बस चले तो ये भारत के 300 टुकड़े कर उसे तल-भून कर खा जाएं, टूटे-फूटे भारत के ध्वंस अवशेषों पर ये राक्षस सिंगल माल्ट की चुस्की लें…अफसोस, भारत किसी तरह अपने भाग्य और ईश्वर के सहारे अब तक बचा हुआ है। कुछ भगतों, कुछ सावरकरों और सनातन धर्म की वजह से ये देश है कि मरता ही नहीं।
विशेष: नीचे इस दशक की सबसे अश्लील तस्वीर है। जरा तोंद पर ध्यान दीजिए, गालों की लाली पर ध्यान दीजिए। इस आदमी का पिता महज 30 साल पहले चपरासी क्वार्टर में रहता था। 1990 से अब तक उस आदमी का विधायक और सीएम के हिसाब से तनख्वाह और पेंशन जोड़िए और इस तोंद, हिकारत और गालों की लाली को देखिए।

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