यदि up चुनाव को आप क्लोस्ली फ़ॉलो कर रहे होंगे तो पाएँगे भाजपा जहां पिछड़ भी रही थी वहाँ गैप कम हो रहा है.
वजह यह है कि भाजपा एक ज़बर्दस्त corporate की तरह कार्य कर रही है. इधर टिकट बाँटने वाला अलग विभाग है, जिसके हर कदम पर ज़िम्मेदार अफ़सर हैं. दूसरा विभाग है चुनाव लड़ाने वाला. हर विधान सभा में बूथ स्तर तक सब तैयारी हो चुकी है. रोज़ बैठकें हो रही हैं, ग्राउंड वर्क पूरा तैयार है. बैंड बाजा बारात बुक है, दूल्हा कोई भी आ जाए इस विभाग को फ़र्क़ नहीं पड़ता. यक़ीन मानिए आप में किसी को भी भाजपा का टिकट मिल जाए आप भी उतने ही अच्छे से लड़ लेंगे जितना दस बार चुनाव जीता विधायक. तीसरा विभाग है प्रभारियों का. यह चुनाव लड़ाने के एक्स्पर्ट होते हैं, अलग अलग जगहों से भेजे जाते हैं. इन्हें इससे मतलब नहीं होता कि टिकट किसे मिलेगी. इनको तीन महीने के प्रोजेक्ट के लिए अपॉंट किया जाता है. यह प्रभारी मंडल से लेकर प्रदेश तक में लगे हैं. जैसे कि पश्चिम up में पूरे क्षेत्र के प्रभारी अमित शाह हैं. उन्हें केवल अपने काम पश्चिम up में फ़ोकस करना है इस बार. तो वह डोर to डोर कैम्पेन से लेकर अंदर खाने में जाट खाप तक सेट करने में लगे हैं. चुनाव पश्चात चेक किया जाएगा कि वह अपने इस स्पेसिफ़िक प्रोजेक्ट में कितना सफल रहे. फ़िर एक विभाग है सेंट्रल चुनाव मैनेज करने वाला. यह विभाग सोसल मीडिया से लेकर काल सेंटर तक मैनेज करता है. फ़िर भाजपा के कार्यकर्ता हैं. फ़िर rss के कार्यकर्ता हैं. फ़िर आनुषंगिक संगठनों के कार्यकर्ता हैं. यह सब विभाग बिल्कुल अलग अलग बग़ैर एक दूसरे पर निर्भर हुवे पूरी ईमानदारी से काम करते हैं. प्रोजेक्ट है. अभी पश्चिम up ओवर होगा, अमित शाह जी का प्रोजेक्ट ओवर, अब बैटिंग अवध में राजनाथ सिंह करेंगे. पूर्व up का समय आते आते स्टार बेट्स मैन गोरखपुर से योगी जी और वाराणसी में मोदी जी बैटिंग करेंगे. वह जब बैटिंग कर रहे होंगे तो बाक़ी सारे विभाग इंडिपेंडेंट्ली उन्हें बाहर से टेक्निकल सपोर्ट देंगे. अब आप देखिए इतनी तगड़ी मशीनरी के सामने हैं अखिलेश यादव. पूरी पार्टी का ठेका उनके पास. क्षेत्र में कोई व्यक्ति कितना भी अच्छा काम कर रहा हो, अखिलेश भैय्या का नाई अपना बेटा लेकर पहुँच गया तो टिकट उसका. फ़िर उसके बाद पूरी व्यवस्था प्रत्याशी को देखनी. इधर भाजपा में प्रत्याशी कोई मैटर ही नहीं करता.ऐसी जगहों पर जहां भाजपा का यह संगठन कमजोर है जैसे बंगाल, और अपोज़ीशन ने ऐसा संगठन बना लिया साथ ही विभाग निर्धारण हेतु PK जैसों की मदद ले ली वहाँ भाजपा हार जाती है पर उत्तर प्रदेश में भाजपा शेर है मुक़ाबला मेमने से है. इधर इतनी तगड़ी मैन to मैन मार्किंग है कि देखिएगा अंत तक आते आते वह सीट भी जिन्हें लग रहा है पक्का हारेगी वह भी अच्छा पर्फ़ॉर्म करेगी. वजह यह है कि इधर एक पूरा टीम वर्क है, उधर या तो अखिलेश या व्यक्तिगत प्रत्याशी बस दो लोग हैं मुक़ाबले के लिए.मैं बार बार बोल रहा हूँ भाजपा दुबारा आने में एक बूँद संदेह नहीं और बड़ी बात नहीं कि भाजपा तीन सौ पार हो जाए.
नोट: ध्यान रहे इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण विभाग है इंटेरनेट टेररिस्ट का. इस विभाग को तो बिल्कुल फ़र्क़ नहीं पड़ता प्रत्याशी कौन, क्षेत्र में क्या है. वह बस मोदी योगी के लिए निहसवार्थ लगा है. जहां इतनी तगड़ी टीम निहसवार्थ लगी हो उसे कौन हरा सकता है.