WHO | World Health Organization
भूतपूर्व आयुष सचिव शैलजा चंद्रा ने ट्विटर पर बताया कि जब वे 20 वर्ष पूर्व आयुष सचिव थी, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आयुर्वेद के लिए समय नहीं था। WHO में पारंपरिक चिकित्सा में चीनी उपचार व्यवस्था का बोलबाला था। WHO ने भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के लिए सतही प्रोत्साहन देने के अलावा कुछ नहीं किया था।
उन्होंने ट्वीट किया कि उन्हें यह सुनकर खुशी हुई कि प्रधानमंत्री मोदी एवं WHO के महानिदेशक ने गुजरात के जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक केंद्र की आधारशिला रखी और भारत द्वारा लगभग 2000 करोड़ रुपये के निवेश का आश्वासन दिया गया है।
चंद्रा ने लिखा कि इस समारोह में WHO के महानिदेशक की उपस्थिति बहुत कुछ कहती है और इस केंद्र से भारतीय चिकित्सा और चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि जामनगर में 1940 के दशक में डॉ. पी.एम. मेहता दरबारी ने प्रस्तावित किया कि शाही परिवार जामनगर में आयुर्वेदिक अध्ययन के लिए एक केंद्र स्थापित करे। इस समय जामनगर में पहले से ही पारंपरिक चिकित्सा का एक विश्वविद्यालय है और लंबे इतिहास के कारण पारंपरिक चिकित्सा के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के लिए एक महान जगह है।
चंद्रा ने पूछा कि विश्व के किस अन्य देश में पारम्परिक चिकित्सा के लिए 700,000 से अधिक चिकित्सक, विश्वविद्यालय, कॉलेज, राष्ट्रीय संस्थान, और विशेष रूप से आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा उपचार के लिए समर्पित दवा कंपनियों की एक विस्तृत श्रृंखला है? किस अन्य देश ने योग और प्राकृतिक चिकित्सा को न केवल कल्याण के लिए बल्कि उपचार के लिए भी बढ़ावा दिया?
2001 में चंद्रा ने WHO मुख्यालय में एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक को पोस्ट करवाने का प्रयास किया था। WHO ने महाराष्ट्र के डॉ. कोहली को जैसे तैसे सहन कर लिया, लेकिन बहुत कम उपलब्धि मिली क्योंकि पारंपरिक चिकित्सा में चीनी दवा का बोलबाला था।
लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी ने स्थति पलट दी है।
चंद्रा इस केंद्र को पारंपरिक चिकित्सा पर लागू किए जा रहे बड़े फार्मा मॉडल को खत्म करने के एक अनूठे अवसर के रूप में देखती है क्योंकि भारतीय चिकित्सा प्रणालियां समग्र हैं और व्यक्ति का शरीर की बनावट एवं प्रकृति के अनुसार बीमारी का इलाज किया जाता है।
वे लिखती है कि यदि लोग हृदय ऑपरेशन, रोबोटिक सर्जरी और यहां तक कि कीमोथेरेपी से रिकवरी के पूरक के लिए पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करना चाहते हैं, जैसा कि गुरुग्राम के एक प्रमुख एलोपैथिक अस्पताल में किया जा रहा है, तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।