पिताजी कहते हैं कि अच्छा या बुरा, जो क्षण बीत गया उसे बदल नहीं सकते तो वोट 60 हो 64% अब वो फिक्स हो चुका इसलिये उस हिसाब किताब को यहीं विराम देकर अब आगे के चरणों पर फोकस करते हैं।
जीत तो यहाँ भी जायेंगे ही पर मुझे प्रसन्नता तब हो अगर क्लीन स्वीप हो।
बहरहाल मैं 300+ पर भी संतुष्ट हो लूँगा और इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षियों की ‘मु स्लिम तुष्टिकरण राजनीति’ को आप यू टर्न लेते देखेंगे।
ये बीस से चालीस करोड़ भारतद्रोही जब वोट राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगे तब इनके सामने दो ही रास्ते बचेंगे-
या तो ‘घर वापसी’ करें
या ‘राष्ट्र के विरुद्ध खुला विद्रोह’
और तब हम दोंनों के लिए तैयार हो चुके होंगे।
तो मित्रो, भाइयों अगले चरणों के लिए जान लड़ा दो और बस कुछ समय के लिए अपनी जाति को भूल जाओ और बस इतना याद रखो कि तुम्हारा असली शत्रु कौन है।
उत्तरप्रदेश चुनाव हिंदुओं की विजय की पटकथा का दूसरा अध्याय है।
पहला अध्याय तो आप 2019 में लिख चुके।

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