इतना बड़ा रूस, बहुत बड़ी सैन्य ताकत,
इतना बड़ा रूस, बहुत बड़ी सैन्य ताकत, हाथी व चूहे जैसा अंतर। पुतिन को लगा कि यूक्रेन पर दो तीन दिनों में कब्जा हो जाएगा। लेकिन आज 17-वां दिन है, रूस के कई हजार सैनिक मारे जा चुके हैं, सैकड़ों टैंक इत्यादि नष्ट या बेकार हो चुके हैं। चिढ़ कर पुतिन यूक्रेन के नागरिक इलाकों में बम गिरा रहे हैं, आम नागरिकों की हत्या कर रहे हैं।
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युद्ध का लंबा खिचना मतलब यूक्रेन की डिफेंसव पावर बढ़ते जाना। यूक्रेन को नाटो से सैन्य सामग्रियों व आर्थिक सहयोग पहुंचना शुरू हो ही चुका है। रूस की इकोनोमी भी गिर रही है।
जितना लंबा समय लगेगा, रूस के लोगों तक रूसी मीडिया के प्रोपागंडा से इतर खबरें पहुंचना शुरू ही होंगी, रूसी लोगों के परिवार वालों की युद्ध में मौतों की खबरों को किसी भी प्रोपागंडा से लंबे समय तक मैनीपुलेट नहीं किया जा सकता है।
रूस में राष्ट्रपति लगातार दो बार के लिए ही हो सकता है। लेकिन पुतिन ने लगातार चार बार रह सकने के लिए विशेष प्रस्ताव पारित कराया। सवाल यह है कि यूक्रेन पर कब्जा करके रूस में खुद को हीरो के रूप में प्रायोजित करके 2024 में लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीतने की रणनीति सफल होती है या नहीं।
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