Home हमारे लेखकनितिन त्रिपाठी कमला नेहरू प्राद्योगिकी संस्थान , सुल्तानपुर

कमला नेहरू प्राद्योगिकी संस्थान , सुल्तानपुर

by Nitin Tripathi
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हमारे कालेज कमला नेहरू प्राद्योगिकी संस्थान में कमला नेहरू की एक मूर्ति थी जिसका अनावरण नहीं हुआ था. पहले इंदिरा गांधी जी उसका अनावरण करने आने वाली थीं, उनकी हत्या हो गई थी. फ़िर राजीव गांधी आने वाले थे, उनकी भी हत्या हो गई. फ़िर एक बार मुख्य मंत्री मुलायम सिंह जी आने वाले थे, हम लोग रामभक्तों पर गोली चलाने वाले से अपने कालेज की मूर्ति का उद्घाटन नहीं करवाना चाहते थे तो उन्हें गुमनाम चिट्ठी लिख दी कि जो भी इसके उद्घाटन के लिए नेता आने का प्लान करता है उसके साथ ऐसा हो जाता है. तो मुलायम सिंह जी ने भी दौरा रद्द कर दिया.
पर अब समस्या यह थी कि कालेज के ऐड्मिन ब्लॉक में खड़ी विशालकाय मूर्ति काले कपड़ों में ढकी बहुत भद्दी लगती थी. अब कोई नेता तो उसके उद्घाटन में आएगा नहीं. उसी समय शोर मचा कि गणेश जी की मूर्ति दूध पी रही है.
हम दो छात्र भी दूध लेकर पहुँच गए ऐड्मिन ब्लॉक. कमला नेहरू की मूर्ति का मुँह खोला और थोड़ा दूध पिलाया. खबर आग की तरह फैल गई. एक घंटे में लाइन लग गई कमला नेहरू को दूध पिलाने वालियों की. डीन की पत्नी से लेकर HOD की गर्ल फ़्रेंड तक, हॉस्टल की लड़कियों से लेकर गाँव की कृषक महिलाओं तक सबने कमला नेहरू को कुंतलों दूध पिला डाला, टीका रोचना, पैंर पूजा सब हो गई. कमला नेहरू की मूर्ति का स्वतः अनावरण हो गया. सजा भी किसे मिले, इस अपराध में तो सब शामिल माने जाएँगे.
सुना है फिर से मूर्तियों के दूध पीने का सीजन चालू हो गया है. नंदी देव दूध पी रहे हैं. मौक़े का फ़ायदा उठा कर मूर्तियों का अनावरण कर डालिए, दूध पिला आइए. हाँ दूध पिलाने से पहले ध्यान रखिएगा, काले कपड़े में ऊपर से नींचे तक ढकी हर कृति मूर्ति ही नहीं होती.

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