Home लेखक और लेखराजीव मिश्रा कॉमरेड उवाच – #विषैलावामपंथ

कॉमरेड उवाच – #विषैलावामपंथ

by राजीव मिश्रा
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कॉमरेड उवाच – #विषैलावामपंथ

 

युद्ध बहुत बुरी चीज है…युद्ध कोई जीतता नहीं है, युद्ध में सभी हारते हैं…
ऐसा है कॉमरेड! युद्ध एक स्पोर्ट्स नहीं है. युद्ध कोई मौज मजे के लिए नहीं लड़ता. युद्ध एक डिप्लोमेटिक टूल है. युद्ध सिर्फ तभी लड़ा जाता है जब दूसरे डिप्लोमेटिक टूल फेल हो जाते हैं.
युद्ध एक राजनीतिक उद्देश्य के लिए लड़ा जाता है. हर देश युद्ध के कॉस्ट का हिसाब किताब लगाता है और उससे होने वाले राजनीतिक लाभ का हिसाब भी लगाता है. अगर लाभ युद्ध के कॉस्ट से अधिक होता है तभी यह युद्ध होता है वरना नहीं होता.
एक युद्ध से जो देश अपना राजनीतिक उद्देश्य पूरा कर लेता है वह युद्ध में जीत जाता है. वह इस जीत का एक ह्यूमन कॉस्ट चुकाता है, पर अवश्य अगर वह युद्ध नहीं लड़ता तो उसका ह्यूमन कॉस्ट अधिक होता तभी वह लड़ रहा है.
अब सोचिए, आखिर ये वामपन्थी युद्ध में जीत और हार को एक समान क्यों बताते हैं? जो वामपन्थी एक फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर और फैक्ट्री के मालिक उद्यमी में संघर्ष खोजते हैं, एक समाज में रहने वाले दो समुदायों में संघर्ष खोजते हैं, अड़ोस पड़ोस में रहने वाले अमीर और गरीब में संघर्ष खोजते हैं, एक परिवार में एक छत के नीचे रहने वाले और एक बिस्तर पर सोने वाले स्त्री-पुरुष में संघर्ष खोजते हैं… वे आपकी जान और आपकी
स्वतंत्रता के दुश्मन आक्रमणकारी से संघर्ष नहीं खोजते. वे कहते हैं कि एक लड़ाई में जीतना और हारना एक ही बात है. एक राष्ट्र और एक संस्कृति के रूप में आपका अस्तित्व बचना और मिट जाना एक ही बात है… जहाँ परस्पर सहयोग, समन्वय और सह-अस्तित्व है वहाँ संघर्ष चाहिए और जहाँ संघर्ष आवश्यक है वहाँ उन्हें आपका आत्मसमर्पण चाहिए.
है ना विषैले वामपन्थ की हर बात मजेदार…

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