लखनऊ कैंट क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी हैं Brajesh Pathak. आपसी बात चीत में मैं सदैव ब्रजेश पाठक को रामायण का बाली बोलता हूँ. आमने सामने युद्ध में सामने वाले का आधा बल व्यक्तिगत हर लेते हैं. चूँकि लखनऊ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे हैं तो छात्र राजनीति में सम्बंध बना कर अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की कला अद्वितीय है.
क्षेत्र में देख रहा हूँ जो दसकों से सपाई रहे, कांग्रेसी रहे, बसपाई रहे सब ब्रजेश पाठक के समर्थन में दिख रहे हैं. मैन to मैन मार्क कर अपने पक्ष में समर्थन बढ़ाने की यह कला अद्वितीय है. भाजपा पार्टी की चुनावी स्ट्रेटजी टॉप डाउन होती है अर्थात् ऊपर से इतना शोर मचाई कि नींचे तक आवाज़ पहुँचे वहीं स्टूडेंट पॉलिटिक्स की स्ट्रेटजी होती है बाटम्ज़ अप अर्थात् नींचे के मज़बूत खंभों को अपने साथ कर लो ऊपर तक आवाज़ अपने आप पहुँच जाएगी.
जब चुनाव ऐसे होते हैं तो मज़ा आती है. दिखता है युद्ध है, मन करता है चार चार हाथ हम भी करें, अन्यथा ज़्यादातर जगहों पर चुनाव एकदम डल है, भाजपा की ओर से प्रत्याशी आराम से बैठे हैं क्योंकि योगी बाबा जिता ही रहे हैं तो सपा वाले पहले ही सरेंडर कर चुके हैं. कैंट विधान सभा क्षेत्र में भी विपक्ष तो दिख नहीं रहा, पर सत्ता पक्ष ने ज़बर्दस्त माहौल बना रखा है चुनाव का.
पिछले चुनाव में ब्रजेश पाठक की भाजपा में नई एंट्री हुई थी. तो आरम्भ में मिला मंत्री पद उनके क़द के अनुरूप न था. पर समय के साथ ब्रजेश पाठक ने कई बार भाजपा के लिए अपनी उपयोगिता दिखाई. चाहे ऊँचाहार में ब्राह्मणों के नरसंहार वाली घटना हो या कोविड काल, सत्ता पक्ष से दिखने वाला शक्रिय चेहरा रहा.
इस बार शहर की सबसे VIP सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं. मेरी सीट है ही. हमारा वोट सपोर्ट तो भाजपा को रहता ही है, पर जब प्रत्याशी दमदार आता है तो अच्छा लगता है, बाहर निकल वोट माँगने का मन भी करता है.
इस बार कैंट सीट में जीत का अंतर सारे रेकर्ड तोड़ देगा.