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सड़क पर जुलूस इस लिए निकालते हैं

by Nitin Tripathi
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आप सड़क पर जुलूस इस लिए निकालते हैं क्योंकि सड़क पर जुलूस है पावर की पहचान, ताक़त की पहचान, प्राभुत्व की पहचान.
उनकी समस्या यह है कि सैंकड़ों वर्षों से ताक़त और तलवार वाला मज्जब उन्ही का माना गया है. शहर के हर एंट्री point पर बीच सड़क, रेलवे स्टेशन पर मज़ार बना देना उनकी ताक़त की निशानी रहा है. शहर की हर प्रमुख सड़क जाम कर आपको परेशान करते हुवे बीच सड़क पर नमाज़ पढ़ना उनका ताक़त का शो ऑफ़ रहा है. जब वह सत्ता में रहते हैं तो आपके मंदिर गिरा कर उस पर मस्जिद बना देना उनका ताक़त दिखाने का तरीक़ा रहा है. हवाई अड्डों से लेकर वर्क प्लेस तक में बनाए गए पूजा घरों पर क़ब्ज़ा कर उन्हें इबादत घर बना देना उनकी ताक़त की निशानी रहा है. बारा वफ़ात पर जुलूस निकालना हुड़दंग करना उनकी ताक़त की निशानी रहा है. दिन में रोज़ा रखत हैं रात हनत हैं गाय – आपको ताक़त दिखानी है.
जब बीच सड़क एक हुजूम नमाज़ पढ़ रहा होता है तो वो जो रेड लाइट पर भी हॉर्न बजाते रहते हैं, शांति पूर्वक खड़े होकर इस लिए इंतज़ार नहीं करते कि वह सेक्युलर हैं- फटती है इस लिए चुप चाप खड़े रहते हैं. वह कूल डयूड और ड्यूदनियाँ जो माह लाइफ़ माह choice के नारे लगाते हैं पर मज़ार पर पहुँचते ही, कलीमा में दावत खाने जाते हुवे, मित्र के घर सिवई खाने जाते हुवे सर पर कपड़ा ढक कर जाते हैं – फटती है. रेल गाड़ी के प्लेट फार्म पर नमाज़ पढ़ रहे झुंड से एक मीटर दूर से निकलते हैं भले ही रेल छूट जाए – फटती है. काश्मीरी पंडित मार डाले गए काट डाले गए भगा दिए गए लेकिन आज भी मुखर होकर नहीं बोलते – फटती है.
हिंदू तो सदियों से सीधे साधे गौ पूजक रहे हैं. हाँ अब बदलाव आया है, हिंदू भी प्रतिकार करना और अपनी ताक़त दिखाना सीख रहे हैं. आपके जुलूस पर उनका पत्थर चलाना उनका फ़्रस्टेशन है. हिंदू भी सीख रहे हैं ताक़त गेम. आज ईंट खाए हैं कल से वह जुलूस में ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख जाएँगे. मुख्य था बाहर निकल जुलूस निकालना.
शेष जिन्हें ऐसा लगता हो कि सरकार जुलूस निकलवा दे तो वह जुलूस के लिए नहीं बने हैं. उन्हें घर में बैठ tv पर जुलूस देखना चाहिए. जुलूस निकालना है तो जुलूस के नियम भी सीखने होंगे.
शेष संविधान अपना कार्य करेगा. दिल्ली में ईंट पत्थर चलाने वाले चौदह जिहादी गिरफ़्तार कर लिए गए हैं. उनकी आपने हंसते मुस्कुराते फ़ोटो भी देखी होगी. जल्द ही चुनावों में वह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी होंगे. और वह लोग जो कल्पना कर रहे हैं कि उनके जुलूस के साथ मिलिटरी सेवा दी ज़ाया करे वही लोग इन उम्मीदवारों को वोट भी दे रहे होंगे – फटती है.

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