हम भारतीय हैं तो सबसे पहला प्रश्न विदेश पढ़ने के नाम पर आता है बजट.
यदि आपका बजट है तो बैचलर डिग्री से पढ़ने के लिए भेज सकते हैं, अन्यथा उचित यही रहता है कि बेचलर भारत में कराइए और masters डिग्री विदेश में दिलाइए.
विदेश से दो साल की masters डिग्री का खर्च अलग अलग देशों का अलग है. अमेरिका से मास्टर्ज़ का मोटा मोटा खर्च एक करोड़ मान सकते हैं. इंग्लैंड में यही खर्च पचास साठ लाख आता है. जैसे जैसे पूर्व कि ओर बढ़ेंगे यह खर्च कम होता जाएगा. नीदरलैंड, इटली, जर्मनी जैसे देश भी अच्छा विकल्प हैं मास्टर्ज़ के लिए. चेक जैसे देशों में खर्च और कम हो जाता है. फ़िर भी कम से कम तीस लाख तो बजट मान कर चलिए.
प्रायः अधिकतर बच्चे इसमें एक बड़ा अमाउंट लोन पर लेकर जाते हैं. निश्चिंत हो कर भेजिए यदि आपके बच्चे इस लायक़ हैं. लोन वग़ैरह वह पढ़ने के बाद तीन साल में चुकता कर ले जाएँगे. यदि बेटी है और उसके दहेज के लिए पैसे रखे हैं तो इससे बेहतर है वह पैसे उच्च शिक्षा में लगाएँ. फ़िर उसकी इच्छा से विवाह करने दें. यदि वह शिक्षित है तो इतनी अक़्ल होती ही है कि अपना भला बुरा समझ सके. वह जहां जाएगी ज़िंदगी भर अपनी शर्तों पर ससम्मान रहेगी और आपका भी बेटी के घर उतना ही हक़ रहेगा जैसा बेटे पर होता है.
बाहर पढ़ने इस लिए भी भेजना चाहिए कि आप जैसे जैसे बाहर निकलते हैं, आपका दिमाग़ विकसित होता है, आप परिपक्व होते हैं ज़िंदगी के फ़ैसले लेने के लिए. आपका बेटा जिसे घर में रोज़ सुबह मम्मी स्कूल जाने के लिए जगाती हैं, दो साल विदेश में रह कर एक एक मिनट का हिसाब सीख जाता है. डिग्निटी ओफ़ लेबर, कार्य करने की महत्ता, जीवन में मेहनत का महत्व, यदि आपमें क़ाबिलियत और मेहनत है तो आप कुछ भी कर सकते हैं आपका बैक ग्राउंड मैटर नहीं करता जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएँ पढ़ाई के अतिरिक्त बच्चे सीख जाते हैं. यह शिक्षाएँ अपने आप में अनमोल हैं.
अगली कड़ी किस देश के क्या प्लस माइनस हैं, फ़िर यूनिवर्सिटी सिलेक्शन, ऐप्लिकेशन प्रॉसेस, कब से कैसे तैयारी करें जैसे विषय कवर किए जाएँगे. आपके कोई भी सुझाव हों निहसंकोच लिखें. ठीक लगे तो पोस्ट को शेयर कर सकते हैं, कापी पेस्ट कर मुझे टैग भी कर सकते हैं.