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अमेरिका में एक मित्र के आठ दस साल

by Nitin Tripathi
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अमेरिका में एक मित्र के आठ दस साल के बच्चे के दिमाग़ का ऑपरेशन था. बड़ा ऑपरेशन है ख़तरनाक. ऑपरेशन से पूर्व डॉक्टर ने बच्चे को प्रेज़ेंटेशन दी जिसमें कार्टून वाले तरीक़े से बताया गया कि कैसे शरीर में वाइरस का हमला है जिसका मुक़ाबला बच्चा करने वाला है अपनी फ़ौज बना कर. फ़ौज में डॉक्टर रहेंगे, नर्स रहेंगी. अस्पताल में कमरा डोरीमान वाला हो या मिक्की वाला हो यह कैप्टन अर्थात् बच्चे को चुनना है. बच्चे ने ही चुना कि अम्मनेशन अर्थात् फ़ौज का खाना क्या होगा. ऑपरेशन के पश्चात जैसे ही बच्चे को होश आया, पूरे स्टाफ़ ने ताली बजा कर स्वागत किया कैप्टन यू did it. बच्चे ने हाथ उठा कर बोला कंग्रैचुलेशन to माई टीम.
यह उदाहरण आज इस लिए दे रहा हूँ कि आज गणतंत्र दिवस है. अमेरिकन संविधान का फ़ाउंडिंग प्रिन्सिपल है फ़्रीडम. हर व्यक्ति को बचपन से सिखाया जाता है कि वह आज़ाद है और आज़ादी इस बात की कि अपने निर्णय स्वयं लो. स्कूल में पढ़ाया नहीं जाता सिखाया जाता है निर्णय लेने की क्षमता. उसके पश्चात life is all about choices YOU make. हम अमेरिकन बुढ़ापे का मज़ाक़ उड़ाते हैं, हक़ीक़त में अमेरिकन मरते दम तक अपनी ज़िंदगी का एक एक निर्णय स्वयं लेता है – यह उनकी आज़ादी से जुड़ा मुद्दा है. कोई भी ऐसी चीज़ जिसमें उनके लिए निर्णय कोई और ले – भले ही उनके परिवार वाले यह स्वीकार्य नहीं होता. आज़ादी यही तो है कि स्वयं निर्णय लो, अच्छे निर्णय लोगे तो फल और बुरे पर सजा – खुद को. और इसी लिए एक औसत अमेरिकन रास्ते में यदि खाना खाता है तो कचरा रोड पर फेंकना आज़ादी नहीं, बल्कि उसके लिए आज़ादी है स्वतंत्र उचित निर्णय लेना कि कचरे का क्या करें. निर्णय आएगा डस्ट बिन में फेंको न दिखे तो जेब में डाल लो, घर जाकर फ़ेक देना.
भारत को कहने को लोकतांत्रिक गणतंत्र बने हुवे 72 वर्ष हो गए. पर लोकतांत्रिक आज़ादी अभी भी बहुत दूर है. बचपन से हमारे निर्णय कभी पैरेंट्स, तो कभी टीचर तो कभी समाज लेता रहता है. जब बड़े होते हैं तो हर बात पर हमें सरकार याद आती है वह निर्णय ले. शादी कब करें सरकार, बच्चे कितने पैदा करें – सरकार बताए, बुढ़ापे में पेंशन – सरकार, शौचालय की सफ़ाई – सरकार, सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा – सरकार, इलाज – सरकार, नौकरी – सरकार, प्रेम पत्र प्रेमिका को – सरकार पहुँचाए, त्योहार कौन स मनाएँ – सरकार जो छुट्टी करे वह त्योहार,पूरा अडल्ट जीवन हम इस सहारे काट देते हैं कि हमारे निर्णय सरकार ले. ज़िंदगी भर आज़ाद न रहे तो बुढ़ापे में फ़िर रहता है कि बच्चे फ़ैसला लें हमारे लिए. हमारे लिए आज़ादी का अर्थ मात्र इतना है कि चुनाव में वोट डालने की आज़ादी.
आज गणतंत्र दिवस पर मेरी विश यही है कि एक दिन आने वाले दसकों में भारत में अवश्य ऐसा आए जब हम वाक़ई लोकतांत्रिक गणतंत्र बन जाएँ, आज़ादी और फ़्री choice का असल मतलब समझें और यह समझें कि गणतंत्र हमें नहीं बल्कि हमारे द्वारा ली गई choices से गणतंत्र का निर्माण होता है.
गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएँ.

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