Home राजनीति असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी

असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी

रंजना सिंह

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आज एक टीवी चैनल पर देखा मुगलों के किसी वंशज को बिठाकर ज्ञान वापी पर उसके विचार एंकर ले रहे थे।मैंने कार्यक्रम समाप्त होने से कुछ ही पहले टीवी खोला था तो उनकी सारी बातें तो नहीं सुन सकी पर अपने सहधर्मी ओ- वैसी पर उनकी टिप्पणी सुन ठिठक गयी।

उनके अनुसार ओ-वैसी विशुद्ध राजनीति कर रहा है।अपने शहर में आसपास ढाहे जाते म ज्जिद तो वह बचा नहीं पाता तो ज्ञान वापी पर ज्ञान बाँचने का उसको कोई हक ही कहाँ से मिलता है।चाहे वह जितना चिल्ला ले अपने को खानदानी म ज्जबी स्थापित नहीं कर सकता।जिसके दो पीढ़ी पहले लोग हिन्दू हो,चिल्लाने से वह मज़ज़्बियों का प्रतिनिधि, रहनुमा बन जायेगा क्या।

मेरी आँखों के सामने मुट्ठी भींच भींचकर “हिंसा हल्ला कयामत तक” कहता उसका चेहरा, जिसे देखकर मेरा खून खौल उठा था,,अचानक ही दयनीय लगने लगा।किसी तुलसीराम के बेटे पोते को खुद को असली वाला,एकदम प्रतिबद्ध कट्टर सिद्ध करने के लिए क्या क्या करना पड़ता है।भारतीय म ज्जबियों के अतिशय आक्रामक होने की असली कथा व्यथा यही है।उन्हें भक्ति सिद्ध करनी है।

पहले यह सम्भव नहीं लगता था,किन्तु अब विश्वास होने लगा है कि इनकी आक्रामकता प्रतिबद्धता केवल तबतक है जबतक इन्हें इस बाड़े में रहना लाभप्रद लगता है।जिसदिन भय या लाभ की स्थिति बनी, ये पूर्ववर्ती तुलसाराम चंदनदास आदि इत्यादि पुनः आस्था परिवर्तन कर बहती धार में बह लेंगे।

कुछ ही वर्ष पहले मुझे इसका भी भान नहीं था कि हम अपने पूर्वजों के कितने ऋणी हैं जिन्होंने प्राण त्यागे पर आस्था नहीं।आज हम हिन्दू होते गर्वान्वित हैं तो केवल अपने पूर्वजों के चुकाए मूल्य के कारण।सनातन के अनुसार पितृऋण से बड़ा कोई ऋण/पाप नहीं।और हमारे मूल पिता माता कौन हैं,हम सभी किनसे हैं ….?

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