बुंदेलखंड की यह लोकगीत विधा है जिसमें बुंदेलखंड के दो बनस्पर या बनाफर राजपूत भाइयों आल्हा व ऊदल की शौर्यगाथा को ओजपूर्ण स्वर में गाया जाता है।
वीर रस के इस अप्रतिम काव्य की रचना जगनिक ने की थी जो परमार्दिदेव चंदेल के सामंत थे।
गांवों में आल्हा गाने वाले विशिष्ट गायक वर्षा ऋतु में ही भ्रमण करते थे और रात्रि में व्यालू के बाद छोटी सी नगड़िया की थाप पर या उसके बिना ही जब गाते थे-
“बड़े लड़इया मोहबे वारे,
जिनकी जात बनाफर राय।।”
तो वीर रस का ऐसा समां बंधता कि लोगों की भुजाएं फड़कने लगतीं-
–युद्ध की सघनता का दृश्य देखिये-
“पैदल के संग पैदल भिरे,
औ असवारन ते असवार।
हौदा के संग हौदा मिलिगै,
ऊपर पेशकब्ज की मार।
दोनों सेना एकमिल हो गईं,
ना तिल परै धरनि में जाय।।
खट-खट-खट-खट तेगा बाजै,
बोलै छपक-छपक तलवार।
एकै मारें दुइ मर जावें,
तीजो दहसत खाय मर जाए।।”
–अब युद्ध के वीभत्स दृश्य का जीवंत विवरण देखिये-
“कटि-कटि शीश गिरै धरनी में,
उठि-उठि रूंड करै तलवार।
आठ कोस के तहँ गिरदा में,
अंधाधुंध चलै तलवार।
कटि भुजदंडै रजपूतन की,
चेहरा कटि सिपाहिन क्यार।
ज्यों सावन में छूटै फुहारा,
त्यों त्यों चलै रक्त की धार।।”
राजपूत योद्धाओं की ‘सामंतवादी #भाईबंदी आधारित अटूट गठबंधन की झलक भी मिलती है-
“मुर्चन-मुर्चन नचै बेंदुला,
ऊदनि कहै पुकारि-पुकारि॥
नौकर चाकर तुम नाहीं हौ,
तुम सब भैया लगौ हमार।
पाँव पिछाडी को ना धरियो,
यारौ रखियो धर्म हमार।”
मैं यह तो निश्चित नहीं कह सकता कि सभी पंक्तियां मूल परमाल रासो अर्थात आल्हा खंड की हैं क्योंकि इन्हें पढ़ने का जो चस्का लगा तो मैंने आल्हा के कितने नवीन संस्करण पढ़े, स्वयं ही याद नहीं।
बहरहाल मूल कहानी इतनी है कि आल्हा ऊदल कालिंजर के चंदेल राजा परमार्दिदेव के सेनापति दशराज के पुत्र थे। ऊदल आल्हा से दस बारह वर्ष छोटे थे और उनके जन्म से कुछ समय पूर्व ही दशराज वीरगति को प्राप्त हुये।
आल्हा असामान्य शारीरिक बल रखते थे और कहते हैं अपनी बहन के ससुराल वालों द्वारा मजाक उड़ाने पर शर्त में स्तंभ के नाम पर काट छांटकर खड़े किए गए बबूल के पेड़ को जड़ सहित उखाड़ दिया जिसे हाथी भी उखाड़ नहीं पाता है।
उनके छोटे भाई ऊदल भी उतने ही पराक्रमी थे।
कालिंजर के प्रति वफादारी की माँ के वचन को स्मरण रख दोंनों ने अपनी सैनिक सेवाएं परमार्दिदेव को समर्पित की जिन्हें परमाल भी कहा गया।
यहाँ उन्हें एक खलचरित्र के षड्यंत्रों का सामना करना पड़ा जो संभवतः उनके मातृपक्ष का ही था। उसका नाम था माहिल जो शकुनि की तरह धूर्त व षड्यंत्रकारी था व मामा माहिल के नाम से आज तक बुन्देलखण्ड में कुख्यात है।
इसने दोनों भाइयों के खिलाफ कई षड्यंत्र रचे और प्रवाद फैलाये कि उनका कुल असली राजपूत नहीं है।
परमाल के लिए छोटे बड़े 51 युद्ध जीतने के बाद भी इसके कारण एक बार तो उन्हें निष्कासित होकर कन्नौज में महाराज जयचंद के दरबार में अपनी सेवाएं देनीं पड़ीं।
परवर्ती आल्हा संस्करणों में आल्हा परिवार कई अन्य पात्रों मलखान, ब्रह्मा, इंदल आदि के भी विवरण मिलते हैं।
इसी बीच उत्तरी सीमांत चौकी पर पृथ्वीराज चौहान के सिपाहियों से चंदेल सैनिकों का झगड़ा हो गया और गर्ममिजाज पृथ्वीराज ने आक्रमण कर दिया।
माँ के वचनों को याद कर महाराज जयचंद से अनुमति लेकर आल्हा ऊदल लौटे और महाराज परमाल से युद्ध में शामिल होने की अनुमति मांगी जो हार की कगार पर थे।
आल्हा ऊदल के ओजस्वी सेनापतित्व में चंदेल व बनाफर राजपूतों ने भयंकर युद्ध किया और दोनों ओर की अपार हानि हुई।
पृथ्वीराज भयंकर रूप से घायल हुए और गिद्धों से उन्हें बचाने के लिए उनके अंगरक्षक संयमराय ने अपना मांस काट काटकर गिद्धों को फैंकना शुरू किया जिससे पृथ्वीराज तो बच गए लेकिन संयमराय अपना सर्वोच्च बलिदान देकर वीरगति को प्राप्त हुये।
उधर ऊदल व आल्हा का परिवार भी वीरगति को प्राप्त हुआ लेकिन कहते हैं आल्हा के गुरु गुरु गोरखनाथ घायल आल्हा को अपने साथ ले गए और चिकित्सा के बाद योगदीक्षा देकर इच्छामृत्यु कर दिया।
कहते हैं वे आज भी अपनी कुलदेवी मैहर की शारदा देवी के दर्शनों को आते हैं।
इस प्रकार राजपूतों के व्यर्थ शौर्य के एक और अध्याय का कारुणिक अंत हुआ जबकि पृथ्वीराज परमार्दिदेव से मित्रता कर मुहम्मद गोरी के विरुद्ध आल्हा ऊदल के शौर्य का प्रयोग कर सकते थे। पर……शोक!
जगनिक ने ‘परमाल रासो’ के नाम से यह काव्य लिखा लेकिन निष्पक्ष लोक के अवचेतन में यह ‘आल्हा खंड’ के नाम से स्थापित हो गया जिनपर अभी कुछ वर्षों पूर्व तक नये नये कथानक आल्हा ऊदल पर रचे गए जिन्हें गाकर देशराज पटेरिया व अन्य कई गायकों ने आंचलिक स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त की।
अब न आल्हा की गायकी वाले बचे न उन्हें सुनने, पढ़ने वाले। अब बचे हैं नेता जिन्हें मिहिरभोज की तरह आल्हा ऊदल के जातिगत आबंटन की राजनीति खेलनी है।
आल्हा तब मृत्यु को प्राप्त हुए हों न हुये हों पर ऐसे लोग इतिहास के साथ साथ आल्हा की हत्या अब जरूर करना चाहते हैं।

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