Home लेखक और लेखराजीव मिश्रा इंच और सेंटीमीटर में क्या सम्बन्ध है?

इंच और सेंटीमीटर में क्या सम्बन्ध है?

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बात 1987 या 88 की है. यह प्रश्न पूछा गया था एक प्रतियोगिता परीक्षा में. कोई फारेस्ट रेंजर की पोस्ट थी, जिसकी न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट थी, प्रतियोगी छात्र जैसा कि दस्तूर होता है ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट भी होते हैं. उसकी मैथ्स की सौ कॉपियाँ चाचाजी के पास जाँचने के लिए भेजी गई थीं.

 

प्रश्नों का स्तर शायद आठवीं के स्तर का था. वैसे तो अनेक प्रश्न होंगे पर इस एक प्रश्न के उत्तर सबसे मजेदार थे. आज का जमाना होता तो उनके स्क्रीनशॉट वायरल हो चुके होते.

 

तरह तरह के उत्तर थे – इंच और सेंटीमीटर में बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है. इन्हें कोई अलग नहीं कर सकता. इंच और सेंटीमीटर में प्रगाढ़ सम्बन्ध है…दोनों अभिन्न मित्र हैं. ये दोनों नदी के दो तटों की तरह स्केल के दोनों सिरे पर रहते हैं. इंच और सेंटीमीटर में पिता पुत्र का संबंध है, पति पत्नी का संबंध है, प्रेमी प्रेमिका का संबंध है…यह संबंध युग युगान्तर से है और अनंत काल तक बना रहेगा…

 

यानि इंच और सेंटीमीटर पर अवैध संबंधों के अलावा बाकी सभी तरह के संबंध स्थापित हो गए. हम लोट पोट होते थे और महीनों तक जबतक रिजल्ट सबमिट नहीं हो गया, घर आने वाले हर गेस्ट के मनोरंजन का साधन था. सौ में सिर्फ सात लोगों ने ढंग के मैथमेटिकल उत्तर दिए थे, सिर्फ एक को 60% से अधिक मार्क्स आया था और 6 या 7 लोगों को पास मार्क्स आये थे.

 

यह है स्तर सरकारी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले औसत छात्र का. अब सरकारी प्रतियोगिता में चुने जाने वाले औसत छात्र का स्तर क्या है? मेरे एक भैया LIC में थे, अपने जीवन में फिजिक्स का उनसे अच्छा और स्पष्ट पढ़ाने वाले शिक्षक मुझे सिर्फ डॉ एच सी वर्मा मिले. मेरे एक और भैया LIC में हैं, उन्होंने मैथ्स में M.Sc किया और उनकी हॉबी ही मैथमेटिक्स थी. उनके एक मित्र जो LIC में ही हैं उनकी विशेष रुचि फिलॉसफी थी और ऐसी रीडिंग हैबिट कि डॉ राधाकृष्णन की इंडियन फिलोसॉफी सारे पार्ट्स एक बार में, ऑफिस से छुट्टी लेकर पढ़ डाले. भैया के एक मित्र बैंक में थे, जिन्होंने शेक्सपियर को खूब पढ़ा, महीनों सिर्फ मैकबेथ पढ़ते रहे.
जो लोग प्रतियोगी परीक्षाएं पास करके बैंक या LIC या अन्य सरकारी संस्थाओं में जाते हैं उनमें से अधिकाँश बहुत उच्च बौद्धिक क्षमता के लोग हैं. यानी जब आप अगली बार एसबीआई के दफ्तर में जाकर काउन्टर पर बैठे व्यक्ति को निकम्मेपन के लिए कोसेंगे तो यह समझें कि वहाँ उस दफ्तर में किस स्तर की बौद्धिक संपदा की बर्बादी की जा रही है. सरकारी संस्थान सिर्फ आर्थिक अवसरों का ही नुकसान नहीं करते, देश के सबसे अच्छे ब्रेन्स को लपेट कर उसका कॉम्पोस्ट बना देते हैं.  और वहाँ उनसे कंपीट करते बच्चे कौन हैं…ये इंच और सेंटीमीटर का सम्बन्ध बताने वाले बच्चे भी उन्हीं से कंपीट कर रहे हैं, उनके क्या चान्सेस हैं? सरकार कितनी नौकरियाँ क्रिएट करेगी कि उन बच्चों को भी नौकरी दे पाएगी जिनके जीवन की कुल उपलब्धि एक कम्पटीशन की तैयारी करना है और स्किल के नाम पर है इन्च और सेंटीमीटर के बीच के प्रगाढ़ और अन्तरंग सम्बन्धों पर शोधपत्र.

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