इस बात पर बिहार से कोई एक्सपर्ट कमेन्ट करे तो उसे ही अधिक प्रामाणिक माना जाएगा। मेरी तो सारी राय बातचीत पर आधारित है।
बिहार में चाहे इस समय जदयू और बीजेपी की गठबंधन सरकार चल रही हो लेकिन यह सरकार पूरी तरह से जदयू ही चला रही है। कम से कम पटना से बाहर निकल कर तो ऐसा ही लगता है। आप बिहार के किसी भी जिले में चले जाएं, समाहरणालय से लेकर अंचल कार्यालय तक आपको जो दलाल घुमता हुआ मिलेगा, उसका कोई ना कोई ताल्लुक जदयू से निकल ही आएगा। ना भी हो लेकिन वह ऐसा दावा करता हुआ पाया जाएगा।
ये लोग दावा ही नहीं करते। बल्कि ये काम भी कराते हैं। बीजेपी की सुनवाई कम है इस सरकार में। सड़क टेंडर से लेकर तमाम तरह के ठेकों में जदयू के लोग घुसे हुए हैं। जदयू वाला ठेकेदार ठेके में कमिशन भी देते हैं और बाद में पार्टी फंड में चंदा भी। बीजेपी वालों के पास सांसद निधि के दस—बीस लाख का काम ही आ पाता है।
यदि कोई मुख्यमंत्री नीतीशजी की जाति से हो और नालंदा में जन्मा हो तो उसके लिए बिहार में स्वर्ण युग चल रहा है। यदि वह बिहार सरकार में मंत्री भी हो फिर क्या कहने? ऐसे मंत्रीजी के लिए कहीं स्वर्ग है तो बिहार में ही है।
नीतीशजी बहुत सुलझे हुए राजनेता हैं। उनका सभी के साथ रिश्ता गुड—गुड है। चिराग पासवान जैसे लोग विरोध का स्वर बुलंद भी करते हैं तो ठीकाने लग जाते हैं। कहीं कोई आवाज नहीं। देश भर में कई ‘चाणक्यों’ की चर्चा होती है लेकिन बिहार के अंदर कोई एक चाणक्य आज की तारीख में कोई है तो वह नीतीशजी हैं। राजद के कार्यकर्ता भी खुलकर उनके खिलाफ नहीं बोलते। क्या पता कल उनके साथ सरकार बनानी पड़ी तो आज अधिक बोल गए फिर उसे जस्टिफाय कैसे करेंगे?
इन सारी बातों के बीच कोई सफर (अंग्रेजी वाला) कर रहा है तो वह बिहार की जनता है। जिस तरह अंचल, थाना और माफियाओं का गठबंधन बिहार को खोखला कर रहा है, यदि इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में ब्रांड नीतीश पर यह सब लोग मिलकर बड़ा डेंट लगाएंगे। देर हुई तो अच्छा से अच्छा कारीगर उसे भर नहीं पाएगा। सुन रहे हैं ना नीतीशजी।