उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजनीति में प्रवेश की बड़ी वजह भू माफियाओं की बढ़ती अराजकता थी। उत्तर प्रदेश वालों की किस्मत से उन्हें योगी जैसा मुख्यमंत्री मिला, जिसने प्रदेश को माफियाराज से मुक्ति दी।अब उत्तर प्रदेश से भागे कई माफियाओं ने बिहार में शरण ले ली है। कहना कठीन है।बिहार की सरकार में कब वह राजनीतिक इच्छाशक्ति आएगी कि वह अपराधियों और माफियाओं को बिहार छोड़ने पर मजबूर कर पाएगा।
बहरहाल किस्सा योगीजी का। 1994 में जब उन्हें गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी बनाया गया था, उन दिनों गोरखपुर में अपराध चरम पर था। वह 1994-95 का दौर था। गोरखपुर में एक मशहूर परिवार हुआ करता था, उनकी दो हवेलियां थीं। राज्य सरकार ने दोनों हवेलियों को माफियाओं को सौंप दिया। परिवार ने दोनों इमारतों को ढहा दिया। योगीजी उस परिवार के लोगों से मिलने गए। उनसे जब पूछा कि क्या हुआ था? परिवार का एक व्यक्ति ने बोला कि अगर हम इमारत नहीं गिराते तो सब कुछ गंवा देते। अब कम से कम जमीन तो हमारे पास रहेगी। एक समय ऐसी स्थिति थी उत्तर प्रदेश की।
ऐसे ही एक दिन योगीजी के पास गोरखपुर में एक रसूख वाले व्यक्ति का फोन आया। उन्होंने कहा कि उनके घर पर एक मंत्री कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। योगीजी उस जगह पर पहुंचे तो देखा उनके घर के सामान को बाहर फेंका जा रहा था। योगीजी उनसे कहा कि जब मकान मालिक ने घर बेचा नहीं तो कोई उसे कैसे ले सकता है? लोगों की भीड़ सब देख रही थी लेकिन कोई कुछ बोल नहीं रहा था। जब माफिया ने योगीजी की चेहरे की तरफ कुछ पेपर लहराए तो योगीजी ने भीड़ से कहा कि इसे पीटो। उत्तर प्रदेश में ऐसी अराजकता देखकर ही योगीजी ने राजनीति में एंट्री ली।
और बीते पांच सालों में उत्तर प्रदेश बदला है। अपराधियों का एनकाउंटर हुआ है और माफियाओं के घर पर जेसीबी चली है।।
दूसरी तरफ बिहार में उल्टा माफिया ही जमीन छीनने के लिए जेसीबी लेकर पहुंच रहे हैंं और बिहार की पुलिस भी ऐसे माफिया के सहयोग में खड़ी है।