उदय पुर में दो शांति दूतों ने एक टेलर की बेरहमी से गला काट हत्या कर दी. वजह यह थी कि टेलर ने फ़ेस बुक पर नूपुर शर्मा का समर्थन किया था.
भला लगे या बुरा, इनका इकमात्र इलाज डंडा ही है. यह स्वयं वह हैं जिन्होंने तलवार के डर से मज़हब बदल लिया था. अभी इन्हें सर पर चढ़ने देंगे तो यह वहाँ चढ़ पेशाब करेंगे. और इन्हें डंडे के ज़ोर पर मुर्ग़ा बना कर रखेंगे तो ये गंगा जमुनी सभ्यता, धर्म रोटी नहीं देता जैसी बातें करने लगेंगे.
जैसा राजस्थान में हुआ, UP में सोंचा भी नहीं जा सकता और यदि भूले भटके किसी ने ऐसा सोंचने का दुस्साहस भी कर दिया तो यहाँ की सरकार उसकी वो गत बनाती है कि मारेगी भी, बुल डोजर भी चलाएगी और इसका पैसा भी लेगी. इसी लिए UP में अब सामान्य शांति दूत अमन, रोटी, गंगा जमुनी सभ्यता की बात करता नज़र आता है. वहीं राजस्थान जैसी लचर सरकारें जो सेक्युलरिज़म की आँड़ में इनसे डरती हैं, वहाँ ये आतंक फैला ले जाते हैं.
इस अराजकता का एक ही इलाज है, बुलडोज़र. बुलडोज़र से शांति आती है तो बुलडोज़र चलते रहना चाहिए. राजस्थान के मित्रों से सहानुभूति है, लचर सेक्युलर सरकारें कैसी होती हैं हम UP वालों ने खूब भुगता है और मज़बूत सरकार से क्या अंतर आता है अब देख रहे हैं.