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ऋग्वेद का एक बह्म वाक्य है

by Jalaj Kumar Mishra
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ऋग्वेद का एक बह्म वाक्य है – “उद्बुध्यध्वं समनस: सखाय:। अर्थात हे एक विचार परिवार और एक प्रकार के सनातन ज्ञान से युक्त मित्रों उठो! जागो!!
संस्कार भारती, गोपालगंज के अध्यक्ष सर्वेश तिवारी श्रीमुख के भागीरथी प्रयास द्वारा आयोजित सदानीरा उत्सव-2022 जिस ध्येय के साथ शुरु हुआ था उसमें भारत और भारतीयता की भावना प्रबल और प्रखर थी।
राष्ट्रीय हित का चिंतन और मनन करने वाले लोगों का यह समूह वेद वाक्य ” उप सर्प मातरं भूमिम्।” अर्थात जैसे भी हो मातृभूमि की सेवा कर का भाव रखकर कार्य करता है।
गोपालगंज, बिहार के जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर करवतही गाँव में जब मैं एक दिन पहले दोपहर में पहुँचा तो कड़ी धुप में एक अभिभावक की शक्ल वाले सज्जन कार्यक्रम स्थल पर काम करते करवाते दिखें बाद में मालुम चला उनका नाम अशोक पाण्डेय है।उनके द्वारा प्रदत आतिथ्य का भाव व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नही हैं। वहाँ पर आते हर व्यक्ति के पदचापों के साथ उनके चेहरे पर संतोष का भाव बढ़ता जा रहा था। बिदाई के वक्त मैं ठिठक सा गया जब मैं आशीर्वाद लेने गया और उन्होंने कहा कि ” बबुआ अगीला बेर अउरी बढ़िया करल जायी” मतलब बाबू अगले वर्ष और बेहतर किया जाएगा।
दिल्ली में बैठकर क्या भला कोई सोच सकता है कि सुदूर गाँव में लेखन के समक्ष चुनौतीयाँ और हिन्दू इकोसिस्टम के बहाने बदलती तस्वीर जैसे विषयों पर विमर्श होगा वहाँ प्रो. अरुण भगत जैसे बुद्धिजीवी बोलने आएंगे और लोग तालियों की गडगड़ाहट से अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे! लेकिन ऐसा संभव हुआ! लगातार चलते कार्यक्रम में भारी स्थानीय उपस्थिति बनी रही। पुस्तक विमोचन, स्मारिका विमोचन, बुक कवर लाॅच,भोजपुरी कथा पाठ, सम्मान समारोह और राष्ट्रीय कवि सम्मेलन इस उत्सव के आकर्षण के केन्द्र रहें।
महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बिहार के अनेक जिलों से युवा राष्ट्रवादी लेखकों के साथ साथ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और प्रयागराज विश्वविद्यालय से शोधार्थी युवा साथियों की आयी भीड़ यह बताने के लिए काफी थी कि हिन्दुस्तान ने अब धर्म और अधर्म के बीच में से चयन करना सीख लिया है।यह संख्या आगे और बढ़ेगी।
कार्यक्रम के चहेरों और उनसे हासिल प्यार और स्नेह की बात करुँ तो संभवतः एक सिरीज लिखनी पड़ेगी। सभी अद्भुत और अद्वितीय थे। किसका जिक्र करुँ और किसको छोड़ूँ! जो आये वह भी और जो किसी कारण से नही आये वह भी चाहे वैसे लोग जो अगली बार आने के लिए सोच रहें हैं या फिर स्थानीय स्तर पर आयोजन में शामिल उत्साहित युवा भाईयों की टीम सभी को इस विचार परिवार का एक छोटा सदस्य होने के नाते इस निस्वार्थ राष्ट्रवादी भाव के लिए मैं प्रणाम निवेदित करता हूँ। आगे प्रयास रहेगा कि कुछ और लिखूँ इस आयोजन पर ….

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