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एक सत्य घटना

by Ajit Singh
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एक मठाधीश टाइप लेखक हैं ।
अपनी अविरल अनंत लंतरानी बकchoदी के लिये कुख्यात हैं । किसी को J बोले तो प्यूबिक हेयर कुछ नही समझते ।
मने आग मूतते हैं ।
सो Kiss On आंडतोलन में भी अपने चिरपरिचित अंदाज में तेज़ाब मूत रहे थे ।
उनकी एक पोस्ट Radar पे आ गयी । उस पोस्ट का संज्ञान एक local व्यक्ति ने लिया और SS कनेड्डे भेज दिया ।
वहाँ से उसे बड़े सुनियोजित तरीके से वायरल किया गया और शाम तक वो SS उस समूचे state में बच्चे बच्चे के फोन तक पहुंच गया ।
अब लेखक महोदय ठहरे अलमस्त फक्कड़ बहते पानी ।
न कोई ठौर ना ठिकाना । कुल जमापूंजी एक लुंगी एक लंगोट ।
खानाबदोश ऐसे कि खुद घरवाली लोगों से फोन कर पूछती है कि मेरे पति को कहीं देखा है क्या ????
Fb पे स्टेटस डाल के पूछती है प्राणनाथ कहाँ बिराज रहे हैं आज ?
सो ऐसे आदमी का SS Viral करके क्या J उखाड़ोगे ?
दूसरी बात ये कि पिछले 10 साल में ज़ुकरु ने लेखक महोदय को कूट भाषा मे संकेतों में लिखना सिखा दिया है सो उस SS में ऐसा कुछ था नही कि कोई कानूनी कार्यवाही बने ।
पर ज़ुकरु की AI बेशक न पकड़े Human इंटेलीजेंस तो जानती थी न कि ये B वाला हमको पेल रहा है ।
अब खानाबदोश लेखक का जब कोई पता ठिकाना नंबर न मिला तो किसी ने उस संस्था का नाम पता नम्बर वायरल कर दिया जिसमें लेखक की पत्नी काम करती थी ।
अब कनेड्डे मरीक़े जुर्प में बैठा आदमी गरियाने के सिवा कर क्या सकता है सो पब्लिक ने उस नंबर पे गरियाना सुरू किया ।
नंबर था संस्थान के मालिक Chairman का ….. अब उनको सैकड़ों नही हज़ारों फोन call और Whatsapp msg आने लगे । वो डरे घबराये तो नही पर परेशान जरूर हुए ।
बैठे बैठाये ये क्या मुसीबत आन पड़ी ……. मालिक को जहाँ हज़ारों फोन आये तो लेखक की पत्नी को भी 10 – 20 आये ।
चंद घंटों में मामला धीरे धीरे out of Control हो गया ।
हर किस्म की धमकियां आने लगीं । Business Rivals भी बहती गंगा में नहाने धोने लगे ।
इधर बमचक मचा था उधर लेखक महोदय न जाने किधर बिचर रहे थे । उनको खबर मिली 12 घंटे बाद जबकि रायता पूरा नाली में बहने लगा ……
तब तक विभिन्न दलों के राजनेताओं , सामाजिक संगठनों और Fringe Element ने भी मोर्चा सम्हाल लिया था ।
बात सरकार एवं जिला / पुलिस प्रशासन तक पहुंच चुकी थी ।
लेखक महोदय तो हिमालय की कंदराओं में शीतल बयार में बिचर रहे थे इधर संस्थान के मुखिया का परिवार और खुद लेखक महोदय का परिवार उनकी लेखकीय बकचोदी की आंच में झुलस रहा था ।
अब शुरू हुआ Damage Control ……. लेखक महोदय से कहा गया कि तुरंत एक Apology का Video जारी करो ।
प्रशासन ने तुरंत संस्थान पे और लेखक के घर पे पुलिसिया सुरक्षा बंदोबस्त किया …… उनकी धर्मपत्नी को बाकायदे पुल्स कमिश्नर ने फोन कर पूछा कि आपके पतिदेव कहाँ हैं ।
इन्ने कही ऊ तो हिमालय पे हैं ।
कमिश्नर बोले , ठीक है ……उनसे कहो वहीं रहे महीना भर …..
तीन चार दिन तक रायता नालियों में बहता रहा ।
पुल्स प्रशासन ने कहा कि अगर मामला जल्दी शांत न हुआ तो लेखक महोदय को दो समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाने वाली धारा लगा के बंद करना पड़ेगा ।
इस बीच Management ने बाकायदे press में बयान जारी किया कि लेखक Fringe Element है और उसकी पत्नी को संस्थान से निष्कासित कर दिया गया है । इन दोनों का संस्थान से कोई मतबल नही है । इनको लिकाड दिया है ।
जबकि असल मे संस्थान ने उनको बाकायदे पूरे लाव लश्कर के साथ Fully Paid Leave पे Luxury Tourism पे भेज दिया था डेढ़ महीने को ।
दो हफ्ते में लोग भूल भाल गए ।
लेखक की पत्नी आज भी उसी रोब रुआब से अपने पद पे कायम हैं । लेखक अब भी उसी तरह बकचोदी पेलते हैं , अलबत्ता संस्थान के मालिकान और उनकी धर्मपत्नी एवं लौंडों की बड़ी सख्त सेंसरशिप उनकी कलम पे आज तक लागू है और बीच बीच मे हड़काये जाते हैं कि नही मानोगे ???????
ये कहानी सिर्फ इसलिये सुनाई है कि ये निलंबन निष्कासन माफी Apology सब public Consumption के लिये होती है । असल कहानी अंदरखाने कुछ और चल रही होती है ।
नूपुर शर्मा का मामला भी यही है ।
लेखक ने कनेड्डे वालों से माफी मांगी , इसपे कुछ कट्टर झट्टर हिन्दूराष्ट्रवादी Lb समाज आज भी Orgasmic आनंद में ऐंठता है।
मुझे ये भी पता है कि इस पोस्ट के कुछ पाठक भैंसdi के जेम्स बांड के चोde सुपर इंटेलीजेंट हैं और लेखक को पहचान के उसका नाम कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखेंगे , ये जानते हुए कि मामला परिवार की सुरक्षा से जुड़ा है ।

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