Home राजनीति ऑस्ट्रेलिया की राजनीती | प्रारब्ध

ऑस्ट्रेलिया की राजनीती | प्रारब्ध

Author - Vivek Umrao

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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ऑस्ट्रेलिया में दो पार्टी व्यवस्था है (मतलब दो मुख्य पार्टियां हैं)। आम चुनाव के समय, दो पार्टियों की ओर से प्रधानमंत्री के लिए घोषित उम्मीदवारों की आमने सामने चर्चा होती है। कई दौर चर्चा होती है।
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सरकार जिन-जिन विभागों के मंत्री बनाती है, विपक्षी पार्टी भी अपनी ओर से लगभग उतने शैडो मंत्री बनाती है। इनको शैडौ मंत्री इसलिए कहा जाता है कि यदि विपक्षी पार्टी की सरकार की होती तो सरकार की नीतियां क्या होतीं, इनके मंत्री क्या कर रहे होते। चुनाव के दौर में जिस पार्टी की सरकार होती है, उन मंत्रियों तथा विपक्षी पार्टी के शैडो मंत्रियों की आमने-सामने चर्चा होती है। मसलन वित्त मंत्री के सामने विपक्षी पार्टी का वित्त शैडो मंत्री चर्चा करेगा।
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इन चर्चाओं में कोई भेदभाव नहीं होता। टास होता है, जो जीतता है उसको पहले बोलने का अवसर मिलता है। शुरुआत करने के लिए दोनो पक्ष कुछ-कुछ मिनट में अपनी बात रखते हैं। फिर लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों पर दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात रखते हैं। बात रखने के लिए समय निर्धारित होता है जैसे एक मिनट, दो मिनट, तीन मिनट। इस प्रकार आमने-सामने की ये चर्चाएं होती हैं, अमूमन ये चर्चाएं एक से दो घंटे तक चलती हैं।
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अधिकतर ये चर्चाएं ऑस्ट्रेलिया प्रेस क्लब पर आयोजित होती हैं। प्रेस क्लब का अध्यक्ष चर्चा का माडरेशन करता है। इन चर्चाओं में प्रधानमंत्री हो या कोई और, सभी को आम आदमी की तरह ही माना जाता है, किसी को विशेष सुविधा या लाभ या अधिकार नहीं दिया जाता है। सभी पक्षों के साथ बिलकुल बराबर का व्यवहार होता है।
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लोग टेबलों पर बैठे होते हैं, स्नैक खा रहे होते हैं, द्रव्य पी रहे होते हैं और चर्चा जारी रहती है। लोगों, समाज, देश व सरकार की नीतियों व कार्यप्रणाली से जुड़े कैसे भी सवाल किए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री हो विपक्षी दल का नेता आप आंखों में आंखे डालकर सवाल पूछ सकते हैं। यदि प्रधानमंत्री या विपक्षी दल का नेता हवाबाजी कर रहा है या लफ्फाजी बतिया रहा है तो आप बिना हीला हवाली के कह सकते हैं कि हवाबाजी व लफ्फाजी न बतियाइए, ठोस बात कीजिए।
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सरकार की आलोचना करना, सरकार की नीतियों की धज्जियां उड़ाना, सरकार का विरोध करना, सरकार की नीतियों के विरुद्ध अपना आक्रोश व्यक्त करना इत्यादि-इत्यादि को आपका अधिकार माना जाता है। सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का अधिकार न तो आम लोगों को है, न पुलिस को, न नौकरशाही को, न ही राजनेताओं को। पुलिस को या प्रशासन को किसी सार्वजनिक संपत्ति या किसी की व्यक्तिगत संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं होता है।
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यहां यह माना जाता है कि देश लोगों का है, सरकार व नौकरशाही केवल प्रबंधन करने के लिए है।
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कोविड के समय ऑस्ट्रेलिया में जिन भी लोगों के पास नौकरियां नहीं थी, जिनको नौकरियों से निकाला गया, जिनके व्यापार थे, जो सीनियर सिटिजन थे, जो युवा छात्र थे, इत्यादि-इत्यादि को लगभग दो लाख रुपए महीना बहुत महीनों तक मिला। पानी, बिजली, गैस व पेट्रोल के बिलों में छूट दी गई। आयकर में छूट दी गई। बैंको से लोन लिए गए लोन के लिए पूरा का पूरा साल ही जीरो कर दिया गया।
कोविड की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग व कोविड का इलाज (भले ही आईसीयू या वेंटीलेटर पर हो) पूरी तरह से सभी के लिए मुफ्त। कोविड वैक्सीन सभी के लिए पूरी तरह से मुफ्त।
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लेकिन इस सब को ऑस्ट्रेलिया सरकार की व्यवस्था माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया सरकार मतलब, ऑस्ट्रेलिया के लोगों के द्वारा व्यवस्था। यह माना जाता है कि सरकार के पास जो है वह ऑस्ट्रेलिया के लोगों का दिया है, इसलिए कोई सरकार या सरकार का प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री यह दावा नहीं कर सकता कि यह उसने किया है।
चुनावों के समय भी इन सबका प्रचार इत्यादि के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है। उल्टे बहस इस बात पर होती है कि क्या इससे भी बेहतर किया जा सकता था। विपक्षी दल बताते हैं कि ऐसा और किया जा सकता था। ऐसा भी नहीं है कि विपक्षी दल कुछ भी अंडबंड बोल सकता है, उसको तथ्यों के साथ बताना होता है कि वे होते तो बेहतर कैसे करते होते।
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