Home अमित सिंघल औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते

औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते

लेखक - अमित सिंघल

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अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं”: प्रधानमंत्री मोदी।
सोचा ओवैसी और ओवैसी समर्थको को याद दिला दूँ। अतः रिपोस्ट।
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काशी विश्वनाथ परिसर में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का सार यह था कि सांस्कृतिक एवं धार्मिक पुनरुत्थान, पुनर्जागरण एवं पुनर्निर्माण से हम भारतीय सदियों की गुलामी, जिस ने हमें हीन भावना से भर दिया गया था, से बाहर निकल रहें है। गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि आततायियों ने हमारी सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की थी; हमारी संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की थी। बिना किसी लाग-लपेट के औरंगजेब को अत्याचारी और आतंकी बताया।
यहाँ अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं! अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं।
इस स्पष्टता के लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का अभिनन्दन करता हूँ।
उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का ! ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का ! ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का ! भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का !
इसी श्रेणी में भारत में अयोध्या से जनकपुर आना-जाना आसान बनाने के लिए राम-जानकी मार्ग का निर्माण हो रहा है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर बन रहा है। भगवान राम से जुड़े स्थानों को रामायण सर्किट से जोड़ा जा रहा है और साथ ही रामायण ट्रेन चलाई जा रही है। सोमनाथ मंदिर का सुंदरीकरण एवं बाबा केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। बुद्ध सर्किट पर काम हो रहा है तो साथ ही कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी बनाया गया है। करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण किया गया है तो वहीं हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान बनाने के लिए रोप-वे बनाने की भी तैयारी है। उत्तराखंड में चारधाम सड़क महापरियोजना पर भी तेजी से काम जारी है। भगवान विठ्ठल के करोड़ों भक्तों के आशीर्वाद से श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का भी काम अभी कुछ हफ्ते पहले ही शुरू हो चुका है।
केरल में गुरुवायूर मंदिर हो या फिर तमिलनाडु में कांचीपुरम-वेलन्कानी, तेलंगाना का जोगूलांबा देवी मंदिर हो या फिर बंगाल का बेलूर मठ, गुजरात में द्वारका जी हों या फिर अरुणाचल प्रदेश का परशुराम कुंड, देश के अलग-अलग राज्यों में हमारी आस्था और संस्कृति से जुड़े ऐसे अनेकों पवित्र स्थानों पर पूरे भक्ति भाव से काम चल रहा है।
इस पुनुरुत्थान के लिए उन्होंने जगद्गुरू शंकराचार्य, श्रीडोम राजा, गोस्वामी तुलसीदास, जैन तीर्थंकरों, भगवान बुद्ध, कबीरदास, संत रैदास, राजा हरिश्चंद्र, वल्लभाचार्य, रमानन्द, चैतन्य महाप्रभु, समर्थगुरु रामदास, स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय, छत्रपति शिवाजी महाराज, रानीलक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर आज़ाद, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर, बिस्मिल्लाह खान, राजा सुहेलदेव, माता अहिल्याबाई होल्कर, महाराजा रणजीत सिंह, गुरुनानक देव, सिख गुरुओं, बंगाल की रानी भवानी, जगद्गुरु माध्वाचार्य जी, महाकवि सुब्रमण्य भारती, बाबा विश्वनाथ, माता अन्नपूर्णा, काशी-कोतवाल, श्रमिक, कारीगर, इंजीनियर, प्रशासन का भी आह्वान किया; उनके अहम् योगदान का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा। तभी यह नया विश्वनाथ धाम भारत की सनातन संस्कृति एवं आध्यात्मिक आत्मा का प्रतीक है।
काशी विश्वनाथ परिसर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ओजस्वी संबोधन ने भावुक कर दिया; शरीर के रोम-रोम खड़े कर दिए।

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