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कनाडा का रॉजर्स मोबाइल नेटवर्क ठप, कनाडा थमा

सुमंत विद्वांस

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रॉजर्स यहां की एक बहुत बड़ी मोबाइल कंपनी है। कनाडा के संदर्भ में इसे आप भारत की एयरटेल या जियो जैसी कंपनी समझ सकते हैं।
रॉजर्स के लगभग एक करोड़ उपभोक्ता हैं। इसके अलावा फिडो, चैटर, रॉजर्स बैंक, रॉजर्स केबल नेटवर्क आदि ब्रांड भी हैं। कई अन्य मोबाइल कंपनियां भी रॉजर्स का नेटवर्क किराए पर लेकर अपने उपभोक्ताओं को मोबाइल सेवा देती हैं। सैकड़ों या हजारों छोटे-बड़ी कंपनियों और दुकानों में रॉजर्स के मोबाइल,लैंडलाइन और इंटरनेट कनेक्शन लगे हुए हैं। कई सारे बैंकिंग नेटवर्क इसी पर चलते हैं।
आज सुबह अचानक रॉजर्स का पूरा नेटवर्क ठप्प हो गया। लाखों लोगों के मोबाइल नंबर, इंटरनेट, वाई-फाई सब बंद हो गए। सब मीडिया चैनलों पर, इंटरनेट पर और सोशल मीडिया पर यही सबसे बड़ी खबर बन गई।
कंपनी का बयान आया कि वह नेटवर्क की गड़बड़ी का पता लगाने और इसे ठीक करने में जुट गई है।
कुछ समय के बाद बैंकों से ग्राहकों को ईमेल आने लगे कि रॉजर्स का नेटवर्क बंद होने के कारण बहुत-से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आज नहीं हो पाएंगे।
दोपहर में कुछ सामान लेने मैं यहां के दो-तीन बड़े स्टोरों में गया था। इनमें कॉस्टको, वॉलमार्ट जैसे स्टोर बहुत बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्रांड हैं, जिनके मॉल जैसे विशाल स्टोर दुनिया के कई देशों में फैले हुए हैं। अमरीका और कनाडा में ही शायद इनके सैकड़ों बड़े-बड़े स्टोर होंगे।
उन सब दुकानों में कई जगह कर्मचारी पोस्टर लेकर खड़े थे, जिनमें कागज पर हड़बड़ी में मार्कर पेन से बड़े-बड़े अक्षरों में सूचना लिखी हुई थी कि आज नेटवर्क बंद होने के कारण कोई डेबिट कार्ड नहीं चलेंगे। आप केवल क्रेडिट कार्ड से या नकद भुगतान ही कर सकते हैं। कई सारे लोग इस कारण थोड़े परेशान भी हुए। बहुत सारे एटीएम भी ठप्प हो गए हैं।
आजकल अक्सर लोग सामान खरीदने जाते हैं, तो कई बार किसी और से राय लेने के लिए वॉट्सएप पर फोटो भेजकर या वीडियो कॉल करके उन्हें दिखाते हैं और फिर खरीदते हैं। लेकिन आज वह सब बंद था। इंटरनेट बंद होने के कारण वॉट्सएप पर बात करने, फोटो भेजने या वीडियो कॉल करने का तो उन लोगों के पास विकल्प था ही नहीं, लेकिन एक सादा-सा एसएमएस भेजने या फोन कॉल करने की भी सुविधा नहीं थी। कोई सामान खरीदते समय न तो इंटरनेट पर उसके रिव्यू देखे जा सकते थे, न आते-जाते समय रास्ते में गूगल मैप का उपयोग किया जा सकता था और न कार में इंटरनेट से कोई गीत सुने जा सकते थे। न कोई कॉल आ रहे थे, न मैसेज, न कोई एसएमएस और न कोई नोटिफिकेशन।
जिनके घरों में किसी और कंपनी का वाई-फाई या इंटरनेट कनेक्शन है, वे लोग कम से कम अपने घर में इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं लेकिन जिनके पास रॉजर्स का ही कनेक्शन है, उनके पास तो आज घर में भी इंटरनेट या फोन की सुविधा नहीं रही होगी। जिनके सिक्यूरिटी कैमरे रॉजर्स के नेटवर्क पर चलते हैं, वे सब भी आज ठप्प पड़े होंगे।
अब यहां रात के दस बज चुके हैं और नेटवर्क अभी भी बहाल नहीं हुआ है। कंपनी के सीईओ की ओर से भी केवल वही दोहराया गया कि उनकी सारी टीमें इसमें लगी हुई हैं और इसे जल्दी ही ठीक कर लेंगे। लेकिन इस गड़बड़ी का कारण क्या है और इसमें कितना समय लगेगा, यह अभी तक किसी को नहीं पता। एक आशंका यह भी है कि संभवतः सोमवार सुबह तक भी प्रतीक्षा करनी पड़ जाए।
इतने सारे बैंकों, दुकानों और लोगों का इतना सारा कामकाज प्रभावित होने से न जाने देश की अर्थव्यवस्था को एक ही दिन में न जाने कितना नुकसान हुआ होगा। यदि यह गड़बड़ी ठीक होने में एक-दो दिन और लग गए, तो नुकसान भी दो-तीन गुना और बढ़ जाएगा।
सब ठीक होने के बाद घटना के कारणों की जांच होगी और फिर शायद भविष्य के लिए कोई उपाय सोचे जाएंगे। बहुत संभव है कि कई ऐसी बातें भी जांच में पता चलेंगी, जो कभी सार्वजनिक नहीं की जाएंगी।
कल या परसों ही मैंने कहीं यह खबर पढ़ी थी कि मलेशिया और इंडोनेशिया के दो हैकर समूहों ने भारत पर साइबर हमला किया था। आज भी सुबह से कनाडा में रॉजर्स नेटवर्क को ठप्प देखकर मैं अभी यही सोच रहा था कि यहां तो जनसंख्या बहुत कम है, लेकिन यदि इतने बड़े पैमाने पर कभी भारत में ऐसा कुछ हो गया, तो शायद एक ही झटके 30-40 करोड़ लोग प्रभावित हो जाएंगे।
मोबाइल फोन, ऑनलाइन पेमेंट, यूपीआई आदि सब सुविधाएं बहुत अच्छी हैं। इन सबका भरपूर उपयोग करें, लेकिन मेरा सुझाव है कि अपने पास हमेशा थोड़ी-बहुत नकदी अवश्य रखें, ताकि अचानक कोई इमरजेंसी आ जाए, तो आप बिलकुल ही लाचार न हो जाएं। एक और काम यह भी करें कि अपने घर-परिवार के एक-दो लोगों के मोबाइल नंबर एक पर्ची में लिखकर हमेशा अपने साथ रखें। कभी अचानक मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए, या फोन कहीं गिर जाए, खो जाए, टूट जाए, चोरी हो जाए या कोई और मुसीबत आ जाए तो कम से कम आपके पास कागज पर कहीं नंबर लिखे होने चाहिए।
मैं पिछले कई सालों से अपने लगभग सारे लेनदेन ऑनलाइन या कार्ड से ही करता हूं। अन्य देशों में आने-जाने पर भी आजकल कहीं नकद भुगतान करने या करेंसी एक्सचेंज करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि क्रेडिट कार्ड लगभग हर जगह चलते हैं। लेकिन फिर भी मैं अपनी जेब में सौ-पचास डॉलर हमेशा रखता हूं, ताकि अचानक कभी आवश्यकता पड़ जाए, तो काम चल सके। भले ही दो-तीन साल में एकाध बार ही ऐसी नौबत आती है लेकिन जेब में थोड़ी नकदी रहने से बहुत तसल्ली मिलती है।

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