Home विषयमुद्दा कम्यूनिस्ट भगत सिंह रियली?

 

रियली?
अगर ये सच है तो कॉमरेड बस एक सवाल का जवाब दे दो, बस एक।
क्या कम्युनिज्म में सत्ता बंदूक की नली के बजाय और किसी नली से निकल सकती है?
हाँ, जानता हूँ तुम्हारे मार्क्स और लेनिन को जिन्हें कोट करते हुये कहोगे मजदूर वर्ग की तानाशाही के लिए ‘हिंसा’ लाजिमी है।
तो डियर कॉमरेड अगर हिंसा कम्युनिस्ट के लिए लाजिमी है तो कोई भी कम्यूनिस्ट हो सकता है पर भगत सिंह जैसा रूमानी तबियत का युवा नहीं क्योंकि भगतसिंह जिंदगी से प्यार करते थे और हिंसा से नफरत करते थे जिसका स्पष्ट विवरण उनके पत्रों में है।
अपनी इसी सोच के कारण उन्हें नेताजी की सैन्यवृत्ति भी पसंद न आई भले ही वह राष्ट्र के लिए ही थी।।
उन्हें तो सॉन्डर्स के रूप एक इंसानी हत्या, भले ही वह ब्रिटिश साम्राज्य की बर्बरता के विरोध में क्यों न कि गई हो, के लिए दुःख था।
भगतसिंह जैसा आदर्शवादी, भावुक और चिंतक उस युग में नहीं था।
और कॉमरेड ये बताओ भगतसिंह की उमर ही क्या थी?
मात्र 23 साल।
जिस लेनिन की किताब का हवाला देते हो तब क्या भगतसिंह ने लेनिन की #चेका के खूनी कारनामों के बारे में पढ़ा था?
अगर वो जीवित रहते तो स्टालिन के बारे में क्या सोचते जिसने एक करोड़ यूक्रेनियों को भूख से मारकर समानता स्थापित की।
अगर वो जीवित रहते तो चाउसेस्कू के साम्यवाद के बारे में क्या समझते?
अगर वो जीवित रहते तो पोलपोट के बारे में क्या सोचते?
अगर वो जीवित रहते तो माओ से क्या सीखते जिसने हजारों लाखों चीनियों को सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर फांसी पर चढ़ा दिया।
अगर वो जीवित रहते तो क्या भारतीय कम्युनिस्टों से देशभक्ति सीखते जिन्होंने चीन की हमलावर पीएलए को ‘मुक्ति सेना’ कहकर पुकारा और भारतीय सेना को गालियां दी।
अगर वह जीवित रहते तो कश्मीरी पंडितों के निष्कासन, पाकिस्तान और जिन्ना को लगभग शत प्रतिशत मत देकर पाकिस्तान बनवाने वाले इन देशद्रोही मु स्लिमों के बारे में वे क्या सोचते?
कॉमरेड, भगतसिंह तुम्हारी तरह खून के प्यासे व मु स्लिम तुष्टिकरण की राजनीति खेलने वालों में से नहीं थे।
आपको ये भी याद दिला दूँ कि भगतसिंह के दो प्रमुख आदर्शों में एक करतार सिंह सराभा और दूजे महाराणा प्रताप थे।
इसलिये,
जिसने राष्ट्र की खातिर अपनी सिख पहचान का भी बलिदान दे दिया वह मातृभूमि के लिए, वामपंथ व इ स्लाम के प्रति कैसे उदार व निरपेक्ष रहता।

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