और, पहली बलि ली गयी….
कानपुर की डीएम नेहा शर्मा तत्काल प्रभाव से ट्रांसफर की चिट्ठी लेकर रवाना होंगी।
अब आगे की बात….
आगे का जवाब….
जिसका मुझे था इंतजार,
वो घड़ी आ गयी, आ गयी।
हरेक तीन महीने पर इस देश में मनोरंजन का एक बृहत् अवसर उपस्थित होता है। इससे पिछला अवसर ‘बक्कल तारने वाले’ श्री राकेश टिकैत जी का था।
By the way, हैं कहां आजकल श्रीमान्…
इससे पहले हमने शाहीन बाग में ‘दादियों’ और आपाओं-खालाओं का रोजाना चार शो में चलने वाला सिनेमा देखा था, जहां मुफ्त बिरयानी थी, नाचना-गाना था और हिलती कारें थीं।
बाय द वे, आजकल श्री शरजील जी कहां हैं?
उसके पहले गिरजाघर पर हमले थे, जेएनयू-जादवपुर यूनिवर्सिटी पर आक्रमण था, शिक्षा का भगवाकरण था।
वो भी प्रयोग था, ये भी प्रयोग है।
इस बार लगता है कानपुर के शहर काजी श्री कुद्दूस जी को ही सम्मान मिलेगा, इस महान आंदोलन के सारथी बनने का।
आखिर, इस बार तो प्रयोग का बायस बहुत बड़ा है।