यह कोई आरोप नहीं है। किसी संघी भाजपाई, तथाकथित गोदी मीडिया द्वारा सुनायी जा रही कोई कहानी भी नहीं है।
यह एक खबर है लंदन की अदालत में घटे एक घटनाक्रम की। यह खबर टाइम्स नाऊ चैनल ने अभी शाम को दिखायी है। खबर यह है कि…
राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के जिगरी दोस्त संजय भंडारी ने लंदन की अदालत में बाकायदा हलफनामा देकर स्वीकार किया है कि सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के बाप से भी बड़े सत्यवादी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की परम् ईमानदार यूपीए सरकार के शासनकाल में 2011 में भारतीय लड़ाकू विमानों की मेंटिनेंस अपग्रेडेशन के ठेके के लिए विदेशी कंपनी थेल्स से 173 करोड़ की दलाली का सौदा हुआ था। 75 करोड़ रुपये की दलाली उसने ले ली थी। 98 करोड़ की दलाली और मिलनी थी।
अलग अलग सौदों में संजय भंडारी द्वारा 400 करोड़ की दलाली लेने के दस्तावेज लंदन की अदालत में भारतीय एजेंसियां जमा करा चुकी हैं। चमचे तथा “सरकार क्या कर रही है” वायरस से संक्रमित दुःखी प्राणियों की जानकारी के लिए यह बताना जरूरी है कि मोदी सरकार बनने के बाद से संजय भंडारी का पीछा भारतीय एजेंसियां “भूत” की तरह कर रही हैं। उन्हीं एजेंसियों द्वारा वर्षों की मेहनत के बाद प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर ही संजय भंडारी पिछले वर्ष लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था। कठोर शर्तों पर मिली जमानत के बाद फिलहाल वो लंदन में दिन काट रहा है। अगले महीने फरवरी के तीसरे हफ्ते में लंदन की अदालत में उसके प्रत्यर्पण की सुनवाई होनी है।
ध्यान रहे कि यूपीए शासनकाल में हुए भारतीय रक्षा सौदों की दलाली की हर कहानी का अंतिम सिरा संजय भंडारी पर जाकर ही खत्म होता है। चमचों की इटैलियन देवी के अपवित्र परिवार के साथ सीधे लेनदेन करने, उस अपवित्र परिवार के साथ प्रगाढ़ संबंधों वाला एकमात्र दलाल सरगना संजय भंडारी ही है। वर्तमान में अधर में लटके हुए दलाली के सभी मामलों में अपवित्र परिवार की हिस्सेदारी के रहस्य का ताला खोलने वाली अंतिम कुंजी संजय भंडारी ही है।
सम्भवतः अगले माह यह तय होगा कि यह कुंजी भारत को कब तक मिल पाएगी।