Home लेखक और लेखअजीत सिंह क्या आपने महसूस किया कि पांच वर्षों में

क्या आपने महसूस किया कि पांच वर्षों में

by Ajit Singh
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क्या आपने महसूस किया कि पांच वर्षों में देश के भीतर कुछ नए तीर्थ पैदा हो गए हैं… ?
कभी सोचा कि इन वर्षों में देशवासियों की सैरगाहें भी तेजी से बदल गई है ..?
नहीं सोचा तो अब सोचिए,
जरा मुक्त भाव से सोंचिए
दिल्ली का वार मैमोरियल नया तीर्थ बन गया है, गुजरात में विश्व की सबसे ऊंची पटेल प्रतिमा , विश्व पर्यटन केंद्र में बदल गई है।देश में आने वाले राष्ट्राध्यक्षों के लिए अब आगरा या शिमला समिट नहीं होती । राष्ट्राध्यक्ष अब साबरमती तट पर झूला झूलते हैं , काशी विश्वनाथ में गंगा महा आरती करते हैं, महाबलीपुरम में कृष्णा बटर बाल के नीचे बैठकर वार्ता करते हैं
देशवासियों की मानसिकता भी अचानक तीर्थों के प्रति आकर्षित हुई है, देश की मथुरा, अयोध्या, कांची आदि प्राचीन सप्तपुरियों के प्रति आकर्षण बढ़ गया है, उत्तराखण्ड के जिस चार धाम में प्रतिवर्ष कुल मिलाकर 5 लाख यात्री पहुंचते थे , गत वर्ष 33 लाख पहुंचे । हरिद्वार आने वालों की संख्या 5 करोड़ को पार कर गई । वैष्णोदेवी जाने वालों की संख्या में 45 लाख यात्रियों की वृद्धि हुई । 80 लाख अधिक यात्री तिरुपति पहुंचे ।
महाबलीपुरम की यात्रा करने वालों की संख्या में 1 करोड़ की वृद्धि हुई । पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष 7 करोड़ यात्री काशी गए, जिनमें विदेशियों की संख्या बहुत अधिक थी ।यही हाल भारत के चारधाम द्वारिका, बद्रीनाथ, पुरी और रामेश्वरम का है । सभी स्थानों की यात्रा लगातार बढ़ रही है
देश के हिल स्टेशनों की हालत सबको पता है । सभी जगह यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है । इस बार तो कश्मीर और लेह लद्दाख जाने वाले यात्रियों की संख्या खूब रही । तीर्थ यात्रियों का तो पहले से ही है,अब पर्यटकों का रुख भी देश के चार कुम्भ नगरों प्रयाग, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार की ओर बढ़ रहा है ।
विदेशी टूरिस्ट काशी, गया, ऋषिकेश और पुष्कर के प्रति बहुत रुचि लेने लगे हैं।देश की 52 शक्तिपीठों और 12 ज्योतिर्लिगों के प्रति देश वासियों के आकर्षण बहुत बढ़ा है।
लेकिन आश्चर्य का विषय है कि विश्व के सातवें आश्चर्य ताजमहल जाने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है । तीन वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि ताज महल देखने वालों की संख्या में करीब 33% की गिरावट आई है ।
इसी तरह कुतुबमीनार देखने वालों की संख्या 42% कम हुई है यहां तक कि लालकिला जाने वाले पयर्टक भी घटे हैं, जबकि राजस्थान के किलों का आकर्षण बहुत बढ़ गया है । दिल्ली में लाल किला जाने के बजाय लोग अक्षरधाम जाना पसंद कर रहे हैं ।
जाहिर से देशवासियों के मानक और प्राथमिकताएं बदल रहे हैं
ऐसा क्यौं हो रहा है…. ?
भारत की जनता अपने मानबिन्दुओं की ओर क्यों लालायित हुई है, सोचने वाली बात है। कुतुबमीनार की बजाय जनता वार मैमोरियल में रुचि क्यों ले रही है,गौर से जनता का मानस पढ़िए आपको भी लगेगा कि निश्चित तौर पर भीतर ही भीतर कुछ बदल रहा है ।
आधुनिक जीवन शैली अपनाने के बावजूद भारतवासी अपनी जड़ों से नए सिरे से जुड़ना चाह रहे हैं ,
तो यह बहुत बड़ी बात है ।ध्यान दीजिए सब बिगड़ ही नहीं रहा,बदल और सुधर भी बहुत कुछ रहा है।

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