Home मधुलिका यादव शची क्या जिस बालक ने जन्म लिया वही हूजूर है ..?

क्या जिस बालक ने जन्म लिया वही हूजूर है ..?

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हुजूर के दंदाने (दांत) मुबारक :

हुजूर के सभी दांत एक सीध में थे उनमें कोई गैप नहीं था लेकिन हूजूर के सामने के दो दांतों के बीच एक बड़ा गैप था,
हूजूर जब बोलते थे तो उन गैप के बीच से उनका थूक मुबारक सामने वाले के चेहरे पर गिरता था जिसके चेहरे पर हूजूर का थूक गिर जाता था वो जन्नत के काबिल हो जाता था।
हूजूर के थूक मुबारक जब चेहरे पर गिरते थे तो ऐसा लगता था जैसे ऊपर वाला नूर बरसा रहा हो और उसकी महक तो ऐसी थी जैसे जन्नती इत्र हो….!
अब इसपे क्या बोलेंगे जी,
कुछ समझदार लोगों ने इन सारी बातों को कुछ अलग तरीके से बताया है लेकिन 72 फिरके हैं बाकियों ने कहा छिपाना क्यों हूजूर का थूक मुबारक जन्नती है , जो आलिम इन बातों को छिपाते हैं वो जाहिल हैं काफिर हैं….
पहली गुस्ताखी हूजूर के साथ;
का  बे को पहली बार घेरा जा रहा था तब हूजूर बताते हैं कि उनसे भी पहले एक हूजूर हुए थे जो वहां ईंट पत्थर ढो रहे थे तभी किसी ने उनका दस्तर खींच लिया जिससे वो वाले हूजूर निवस्त्र हो गए।
(कहते हैं उस समय बिना सिलाई के एक ही छोटे से कपड़े वहां के लोग पहनते हैं ऐसा तफ़्सीर करने वाले लोग कहते हैं औऱ लिखे भी हैं )
नग्न होते ही हूजूर जमीन पर गिरकर लोटने रोने लगे तब जाकर उस व्यक्ति ने उनका कपड़ा वापस उन्हें दे दिया।
जिनके दीवाने घूम रहे हैं वो हूजूर बताते हैं कि ऐसा ही वाकिया मेरे भी साथ हुआ था मगर तब मुझे ऊपर वाले कि रहमत नहीं मिली थी…
तफ़्सीर करने वाला लेखक बचाव करते हुए लिखता है कि तब नौकरी करने वाले नग्न भी घूमते थे यह आम बात है।
हूजूर की दया ;
हूजूर ने एक घरेलू पशु को आधा काट कर छोड़ दिया , पशु पीड़ा से मूत्र विसर्जन करने लगा । हूजूर ने उस मूत्र से अपने कपड़े को धोया फिर निचोड़ा ,
उसके बाद हूजूर ने अपने ईश्वर को आसन लगाकर याद किया
हूजूर ने कहा ; ऊपर वाला दयावान है वो सब जानता है उससे डरो , उसके खिलाफ मत जाओ
निश्चय ही वह सब जानता, देखता है…
क्या जिस बालक ने जन्म लिया वही हूजूर है ..?
यदि आप शैतानी, ईश्वरीय ताकतों की कहानी पर यकीन करते हैं तो यह जान लीजिए जो बन्दा आज हूजूर बना हुआ है उसकी हत्या तो 10 साल की उम्र में ही कर दी गयी थी
आज जिसे हूजूर कहते हैं वो कोई और उसके शरीर में प्रवेश किया है।
कहते हैं कि जब वह बालक 10 वर्ष का था तभी एक जगह आसमान से कुछ लोग उतरे जिन्होंने उस बालक को वश में करके बेहोश कर दिया फिर उसका सीना चीरा और उसमें से कोई काली चीज़ निकाल कर फेंक दी और अपना कुछ स्थापित किया फिर उसके सीने को सिल कर चले गए।
चचेरे भाई ने यह सब करते हुए देख लिया।
कभी कभी लगता है यह कहानी बदली गयी है क्योंकि जरूरी नहीं है कि आसमान से अच्छी ताकतें ही उतरें वो शैतानी भी हो सकती हैं।
वह बालक जो अपने चाचा के साथ मन्दिर जाता था पूजा पाठ करता था , मन्दिर के बाहर डुगडुगी बजाता था इस घटना के बाद उसका पूरा मन बदल गया ।
वह चाचा द्वारा किये जा रहे धार्मिक कार्यों को करने में रुचि लेना बंद कर देता है और वह अकेले ही भेंड़ बकरियां चराने चला जाता था , बहुत देर तक सबकी नजरों से ओझल रहता , घर वाले उसे खोजते रहते पर वह शाम के वक़्त ही मिलता था।
जो सीने में रोपा गया था आसमानी लोगों द्वारा वह 25 की उम्र आते आते अपने असली रूप में आ गया…..

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