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क्या होता है जब संतान ही खाते है अपनी माँ को

by Sharad Kumar
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एक मादा बिच्छू की मृत्यु बहुत ही दु:खदायी रूप में होती है। मादा बिच्छु जब बच्चों को जन्म देती है, तब ये सभी बच्चे जन्म लेते ही अपनी मांँ की पीठ पर चढ़ जाते हैं और अपनी भूख मिटाने हेतु तुरंत ही अपनी माँ के शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर देते हैं, और तब तक खाते हैं, जब तक कि उसकी केवल अस्थियां ही शेष न रह जाए।
वो तड़पती है, कराहती है, लेकिन ये पीछा नहीं छोड़ते और ये उसे पलभर में नहीं मार देते बल्कि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीड़ा को झेलती हुई दम तोड़ती है। मादा बिच्छु की मौत होने के पश्चात् भी खाने लायक पूरा शरीर खत्म होने पर ही ये सभी उसकी पीठ से नीचे उतरते हैं!
८४ लाख के कुचक्र में ऐसी असंख्य योनियाँ हैं, जिनकी स्थितियां हमारे लिए अज्ञात हैं, कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम और अपार कहा गया है।
शास्त्रों व संतमत के अनुसार यह भी मनुष्य योनि में, किए गये कर्मों का ही भुगतान है। अर्थात्, इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा, नाना प्रकार की असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार पर उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे, यह बिल्कुल निश्चित है!
मानव जन्म बड़ा दुर्लभ है, ये गलियों में जो लावारिस जानवर घूम रहे हैं न, ये भी कभी मनुष्य थे … इनमें से कोई डॉक्टर था, कोई इंजीनियर, तो कोई वकील …
इनको भी हरी भक्तों ने, संतों ने ईश्वर नाम का जप करने को कहा था, तब ये कहते थे हम ईश्वर को नही मानते और कई हँस कर जवाब देते थे कि अभी हमारे पास समय नहीं है! दुर्भाग्य से ये सब मनुष्य जन्म सफल न कर सके, परमेश्वर का नाम जपना तो दूर परमेश्वर को धन्यवाद तक नहीं किया इन्होंने और अब पशु योनि में आ गए हैं।
अब देखो समय ही समय है, बेचारे गली-गली लावारिसों के जैसे घूमते हैं, कोई दुत्कारता है .. कोई फटकारता है तो कोई लाठी मारता है।
कर्म बहुत रूला देते हैं, किसी को भी नहीं छोड़ते …
अरे सखा-सखियों! अब भी समय है, अब नहीं समझेंगे तो कब समझेंगे, योनि बदलने के बाद …?‽?‽?

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