Home विषयमुद्दा गर्त में समाती देश की राजधानी दिल्ली | प्रारब्ध

गर्त में समाती देश की राजधानी दिल्ली | प्रारब्ध

Author - Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
200 views
एक पुरानी कहानी है। एक मेढक को एक बर्तन मे ठंडे पानी मे डाला गया। फिर उस बर्तन को धीमे धीमे गरम किया गया। पानी जब गुनगुना हुआ, मेढक निकल भाग सकता था। पर वह अजस्ट कर चुका था अपने को। ऐसे ही पानी जब और गरम हुआ धीमे धीमे तब तक मेढक उसमे भी अजस्ट कर चुका था। अंततः पानी उबल गया और मेढक उस उबलते पानी मे जल कर मर गया।
यही कहानी दिल्ली की है। दिल्ली भारत का शायद इकलौता महानगर हो जहां पिछले दस वर्षों मे कोई प्रगति नहीं हुई। उलटे सिचूऐशन धीमे धीमे और वर्स होती जा रही है। आप लखनऊ के किसी बुजुर्ग सरकारी नागरिक से पूछेंगे, वह बड़े उत्साह से बताएगा, नए स्टेडियम के बगल मे उसका फ्लैट है। किसान पथ के सामने उसकी जमीन है। वो जो फलानी कालोनी आ रही है उसमे उसकी दुकान है। लाइन लगी है पुल, मेट्रो, सड़क, हाइवै, कालोनी, बिल्डिंग की लखनऊ मे। आप दिल्ली वाले अंकिल जी से बात करें बातें उनकी भी वही होंगी वही फ्लैट, वही दुकान पर कहीं कुछ भी नए एरिया / नए डेवलपमेंट मे नहीं।
दिल्ली इकलौता शहर भारत का है जो स्वच्छ भारत अभियान मे भी गंदा रहा। आज की तारीख मे दिल्ली से बेहतर साज सफाई व्यवस्था भारत के गाँव गाँव मे है। पूरी दिल्ली मे कहीं से निकल जाइए, सड़कों पर बजबजाते कचरे, उसके किनारे खड़े होकर खाते लोग और दूसरी ओर मुंह करके वहीं पेशाब करते लोग, सड़क पर उलटी करते, पीक मारते और फिर वहीं शिकंजी खरीद पीते लोग दिख जाएंगे। कहीं कोई सफाई नहीं। न विकास, न मेंटेनेंस न सफाई।
ज्यादा होशियार कौवा गूँ पर ही बैठता है। दिल्ली वालों से बात कर लीजिए वह पूरी कहानी समझा देंगे – नगर पालिका भाजपा की है। स्टेट केजरीवाल का है। देश मोदी जी का है। वह ज्यादा सयाने हैं इस लिए सबमें अलग अलग चुनते हैं। और इस ज्यादा होशियारी मे दिल्ली को हर चीज मे वर्स ही मिलता है। वैसे दिल्ली की समस्या यह भी है कि यहाँ कोई दिल्ली वाला नहीं।
मैं दिल्ली को मिनी अमेरिका बोलता हूँ। जैसे अमेरिका मे अमेरिकन कोई नहीं, पूरी दुनिया के लोग आकार भासे वैसे ही दिल्ली मे दिल्लीवाला कोई नहीं है। ज्यादातर लोग कोई पंजाब कोई सिंध कोई पाकिस्तान कोई यूपी कोई बिहार से है। अमेरिका के उलट दिल्ली मे रहने वालों के दिल दिल्ली के लिए कम धड़कते हैं। नब्बे प्रतिशत दिल्ली वालों के दिल अभी भी बिहार, up, पंजाब, पाकिस्तान, सिंध के लिए ही धड़कते हैं। दिल्ली वालों ने मुख्य मंत्री भी ऐसा चुना जिसका दिल दिल्ली के लिए नहीं बल्कि पंजाब, गोवा, गुजरात के लिए धड़कता है।
यह शहर अब शहर नहीं गैस चैंबर है। इस शहर मे रहना, बच्चों को पालना मजबूरी वस तो किया जा सकता है, पापी पेट का सवाल है पर स्वेच्छा से इस शहर मे कोई रहने आए ऐसा होना बहुत मुश्किल है।
मे भगवान राम सेव दिल्ली।

Related Articles

Leave a Comment