चीन एक ऐसा देश है जहां धर्म मानने पर पाबंदी है. आपने खबरें सुनी देखी होंगी रोज़ा रखने वालों को पकड़ ज़बरदस्ती पोर्क खिला कर जेल भेजा जाता है. ऐसे अनास्तिक देश ने भी कैलाश पर्वत पर किसी मनुष्य के चढ़ने पर पाबंदी लगा रखी है. शंकर की महिमा है.
अमेरिका के किसी भी शहर में चले जाइए. शिवा नाम से ढेरों स्टोर, रेस्टोरेंट मिल जाएँगे. अधिसंख्य चलाने वाले लोग क्रिस्चन अमेरिकन हैं.
स्विट्सर्लंड में cern लैब है. विश्व की सबसे शानदार लैब, वही लैब जहां गॉड पार्टिकल की खोज हुई. विज्ञान और आस्था दो पूरी तरह से विपरीत चीजें हैं.
पर CERN लैब में शंकर भगवान की दो मीटर ऊँची शानदार मूर्ति लगाई गई गई.
हर वर्ष लाखों विदेशी सभी धर्मों के भारत आते हैं. ऋषिकेश, वाराणसी में भोले की भक्ति में आह्लादित होते हैं.
भगवान शंकर का aura ही ऐसा है कि कोई भी मनुष्य उनसे प्रभावित हुवे बग़ैर नहीं रह सकता, इसके लिए हिंदू होने की आवश्यकता नहीं. चीन की नास्तिक से अमेरिका के भौतिकवादी ईसाई से लेकर स्विट्सर्लंड के वैज्ञानिक तक सब भक्त हैं भोले के.
जबसे वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिला है, देख रहा हूँ कि कुछ लोग विशेष कर जातीय मानसिकता में ग्रस्त सपाई शंकर भगवान पर ऊल जलूल टिप्पणी कर रहे हैं. मज्जबी लोग भी कर रहे हैं, पर उनसे हम विशेष उम्मीद नहीं करते – दुर्भाग्य इस बात का है कि ढेरों लोग जो अपना सरनेम हिंदू लगाते हैं, भोले की धरती पर रह कर उन्ही के ख़िलाफ़ ऊल जलूल बोल रहे हैं.
यदि आपकी जान पहचान में ऐसे लोग हों तो इन्हें पहचानिए और इन्हें सबक़ सिखाइए.