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चुनावी तफ्तीश और लखनऊ की जनता

by Nitin Tripathi
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एक पत्रकार से बात चल रही थी। पत्रकार महोदय के भाई का ठेकेदारी का धंधा बंद है। वह मुझे मैथ समझा रहे थे मेरी विधान सभा लखनऊ कैंट की। सपा ने पंजाबी को टिकट दिया तो सत्तर हजार पंजाबी, सिन्धी, सरदार वोट सपा का। मुस्लिम वोट तीस हजार है ही। रीता जोशी जी के बेटे को टिकट नहीं मिली, तो पचास हजार ब्राह्मण वोट सपा को। इसके अलावा सपा बाकी कुछ न कुछ वोट अन्य जातियों मे पाएगी ही। यह सीट समाजवादी पार्टी जीत जाएगी।

 

हकीकत मे लखनऊ कैंट सीट पर शायद ही कोई अनहोनी हो अन्यथा भाजपा यह सीट पचास हजार से ज्यादा वोट से जीतेगी। भाजपा की परंपरागत सेफ सीट है दसकों से, ऊपर से इस बार दमदार प्रत्याशी हैं Brajesh Pathak सपा ने वाक ओवर मे बहुत हल्का प्रत्याशी खड़ा किया है, सपा प्रत्याशी को भी पता है जीतना नहीं तो वह भी शक्रिय नहीं। मेरे मुहल्ले के सपा के दसकों के समर्थक जिनमें ढेरों यादव भी शामिल हैं आज भाजपा मे शामिल हो रहे हैं।

 

 

चुनावों मे आप अधिसंख्य ऐसे ही समीक्षक पाएंगे जो बैठे बैठे अपनी व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर पूरे प्रदेश की भविष्य वाणी कर देंगे। इनमें वह भी शामिल हैं जो फील्ड मे टहल भी रहे हैं। पर उनकी समस्या यह है कि वह 2022 के चुनाव को 1992 के चश्मे से देख रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों मे भाजपा ने जाति के बंधन तोड़ दिए हैं। दो नई जातियाँ निकल आई हैं – एक हैं भाजपा समर्थक और दूसरी है लाभार्थी। आज की तारीख मे सबसे ज्यादा जनसंख्या इन्ही दो जातियों की है। इन्हें अपने प्रत्याशी के जाति धर्म नाम से मतलब नहीं होता। यह आँख बंद कर केवल मोदी / योगी / कमल को देख भाजपा को मुहर लगा रहे हैं। गाँव गाँव चले जाइए आपको लोग मिल जाएंगे – विजिबल तारीफ करते हुवे कि बिजली आ रही है। राशन मिल रहा है। गुंडा गर्दी है नहीं। शौचालय, घर सब तो मिल है। ऊपर से दो हजार रुपये सीधे बैंक अकाउंट मे आते हैं और क्या चाहिए। यह लाभार्थी वर्ग जिसमें अधिसंख्य लोग ओबीसी / दलित बिरादरी के हैं आज भाजपा की बड़ी ताकत है। वहीं व्हाट्सप्प/ फेस बुक / सोशल मीडिया ने एक भाजपा समर्थक ग्रुप खड़ा कर दिया है जिसे राष्ट्र / धर्म के नाम पर भाजपा के अलावा कुछ नहीं दिखता। आज की तारीख मे हिंदुवों मे 60% जनता इन दो जातियों की हैं। हाँ यदि आप 1992 के चश्मे से देखेंगे तो यह नहीं दिखेगा।
ऐसी ऐसी सीट जिनमें भाजपा के टिकट सही नहीं मिले मुझे भी पता है, वहाँ भी जब नेताओं से बात करता हूँ तो वह गणित बताते हैं। पत्रकार गणित बताते हैं। पर जब जनता से बात करता हूँ तो सारे गणित मिट्टी मे मिले दिखते हैं।
देखिएगा इस बार का up चुनाव बहुत सारे मिथ तोड़ देगा।

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