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चुनाव का छठा चरण

by Nitin Tripathi
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चुनाव का छठा चरण
इन चुनावों में कुछेक बातें बिल्कुल स्पष्ट दिख रही हैं. दिख रहा है कि क्यों कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने के बाद हुवे चुनावों में हार गए थे. हिंदू हिंदू बन कर तभी वोट देता है जब वह मुसीबत में होता है. मुसीबत निकलते ही वह ब्राह्मण क्षत्रिय यादव दलित बन जाता है. अपेक्षा के विपरीत इन चुनावों में राम मंदिर मुद्दे पर विशेष वोट मिलते नहीं दिख रहे हैं.
वैसे ही योगी जी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को नाराज़ कर प्रशाशन / सरकारी कर्मियों को पावर दी. चुनाव में सरकारी कर्मियों का रुख़ कोई विशेष भाजपा के पक्ष में न दिखा, वहीं कार्यकर्ताओं की उदा सीनता कई जगहों पर निराशा जनक रही.
योगी जी की क़ानून व्यवस्था की वजह से आम नागरिकों के वोट बढ़े, पर केवल उनके जिनका व्यक्तिगत लेवल पर पुलिस से वास्ता ना पड़ा.
अच्छी बात यह है कि इस बार भाजपा के पास मोदी जी का पोलिटिकल अक्यूमेन है.
इस बार सबसे ज़्यादा वोट फ़्री राशन/ किसान निधि से मिल रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार पहली बार चुनाव में फ़ीमेल वोट बैंक दिख रहा है. जातियों के बंधन से परे हट सभी महिलाएँ विशेष कर ग्रामीण परिवेश की महिलाएँ ज़बर्दस्त भाजपा के समर्थन में दिखीं. दरसल पति बाहर कुछ न कुछ कमा दारू पी खा कर आ जाता था असल समस्या महिलाओं को होती थी. किसान निधि सीधे खाते में जाने से, राशन मिल जाने से महिलाओं को जो सहूलियत पहुँची उसकी कल्पना भी मीडिया में बैठे लोग नहीं कर सकते. आप यक़ीन मानिए गाँव देहात के एक से एक कट्टर सपाइयों के घर के वोट देख लिए जाएँ तो घर में पत्नियों ने भाजपा को वोट दिए हैं. सारे जातीय समीकरण इस महिला वोट बैंक ने ध्वस्त कर दिए हैं.
दूसरे इस बार भाजपा ने दलित वोटों में ज़बर्दस्त सेंध लगाई. पिछले कई वर्षों से जबसे मोदी ब्रांड पॉलिटिक्स भाजपा में आई, भाजपा में अम्बेडकर को वही स्थान मिला जो भाजपा के महापुरुषों का है. 2017 के चुनाव तक ग़ैर जाटव दलितों में भाजपा ने ठीक सेंध लगा दी थी, पर इन चुनावों में जाटवों के काफ़ी अच्छे वोट भाजपा को मिले हैं.
महिला और दलित यह दो बहुत बड़े वोट बैंक हैं जो भाजपा के पक्ष में बढ़े. वहीं अखिलेश के पक्ष में थोड़े थोड़े वोट विभिन्न वजहों से बढ़े हैं, पर दलित / महिला वोट बैंक के टक्कर का कोई मैसिव वोट बैंक नहीं बढ़ा है.
2022 में भाजपा का आना कब का निश्चित हो चुका है. सीटें कितनी आएँगे बस यह देखना है. पर साथ ही यह चुनाव परिणाम भाजपा की भविष्य की चुनावी रण नीति भी तय कर देंगे.

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