Home विषयभारत निर्माण चुनाव को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

चुनाव को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

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घर में तीन भाईयों के परिवार समेत कुल चौदह सदस्य हैं। चौदह की संख्या में माता जी समेत सात बच्चे। घर में गाय भी एक सदस्य है। लेकिन गाय के अलावा घर में कभी तोता तो कभी खरगोश पाल लेना आम बात है। मतलब विरोध न हो तो घर न हो चिड़ियाघर बन जाये। बीच-बीच में कुत्ता पालने की खबर भी उठती रहती है। जिसका घर के महिला सदस्यों एवं मेरे द्वारा लगातार एवं भरपूर विरोध किया जाता है।
एक दिन वाट्सएप के ‘फैमिली ग्रुप’ पर बड़े भैया ने लैब्राडोर के पिल्लों की फोटो डाली और सूचना प्रकाशित किया कि यही आने वाला है। परिवार के लगभग सदस्यों जिसमें बच्चों की तरफ से उनके निर्णय की जयकार होने लगी। मैंने अपनी तरफ से पुरजोर विरोध दर्ज किया। इधर बच्चे मेरी बात ख़ारिज करते रहे। तमाम तर्क- वितर्क के बाद अन्त में परिवार के चौदह सदस्यों के बीच मतदान का निर्णय लिया गया। मैं सहर्ष तैयार हो गया। संयोग से मेरी पत्नी, बच्चों समेत मायके में थीं और वाट्सएप की इस संसदीय बैठक में अनुपस्थित थीं। मैंने तुरंत उनको फोन लगाया। सभी घटनाओं से अवगत कराया और वोटिंग में कुत्ता न लाने पर मुहर लगाने को कहा साथ ही साथ बच्चों तक यह सूचना भिजवाया कि यदि कुत्ते के तरफ से वोट हुआ तो कल ही नानी के घर से वापस आना पड़ेगा। मतलब खुद समेत चार वोट पक्का करके छत से उतरकर नीचे गया… अपने पक्ष में वोट जोड़ने। नीचे दो भाभियां पहले से ही मेरे साथ थीं सो अब मैं छह की संख्या तक पहुंच चुका था। इसके बाद की संख्या जोड़ना मेरे लिए कठिन था। मैं चुपके से अपने बड़ी भतीजी के पास पहुंचा और कुत्ता पालने के खर्चे, झंझट, गंदगी आदि का हवाला देकर सात वोट बनाकर राहत की सांस ली और अन्त में अपनी मां के पास पहुंचा। अम्मा की तरफ से मैं पूरी तरह आश्वस्त था। उनको कुत्ते के दांत, विष आदि का भय दिखाकर आसानी से अपनी तरफ कर लिया। और विजयी मुस्कान के साथ वोटिंग शुरु कराने को कहा।
वोटिंग प्रक्रिया में वरिष्ठता के आधार पर अम्मा को पहला मत देने को कहा गया। लेकिन ओफ्फ! अम्मा को घर के बच्चे पहले ही अपने खेमे में जोड़ चुके थे और पहला ही मत मेरे ख़िलाफ़! अब मामला सात-सात पर उतरता लेकिन अपना पहला ही विश्वसनीय मत टूटने के बाद मेरा आत्मविश्वास खण्डित हो चुका था। धड़ाधड़ वोट गिरने लगे। लेकिन मैं भीतर से भयभीत था। लेकिन भला को मेरे बड़े भतीजे का जो बिना मेरे सम्पर्क, अनुरोध के भी मेरे पक्ष में मतदान करके मामला आठ और छह पर कर दिया तथा इस निर्णायक लड़ाई में मैं दो वोटों से विजयी हुआ।
लब्बोलुआब यह कि चुनाव को कभी हल्के में मत लीजिए। जीतने के लिए हर तिकड़म, हर प्रयास लगा दीजिए, अन्तिम हद तक जाइए। किसी को पूरी तरह अपना समझ कर लापरवाह मत बनिए और किसी को पूरी तरह दूसरे का समझकर मुंह न मोड़िए।

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