जब अपनी दसवी के मित्रों के साथ बैठते है और ऐनलायज़ करते हैं कौन क्या बना – तो केवल और केवल एक अंतर समझ आता है – शिक्षा. जिसने अंतर बनाया.
वह जो इतने गरीब थे कि कालेज के दिनों में नौ रुपए फ़ीस नहीं भर पाते थे – आज अफ़सर हैं, गोमती नगर में बांग्ला है, प्रतिष्ठित हैं. केवल शिक्षा की वजह से.
वह जिनके पिता वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे और स्कूल के समय जिनकी दादागिरी चलती थी, कैंटीन में जिनके नाम से उधार चलता था, उनकी लास्ट खबर यह थी कि वह जेल में थे.
वह लड़कियाँ जो आउट ओफ़ लीग थीं, जिनके कुत्ते भी पैरों में मोज़े पहनते थे, जिनसे बात करने के लिए रैपिडेक्स से वाक्य याद कर जाना पड़ता था. उनका ध्यान शिक्षा पर न रहा रोमांस पर रहा. और ज़ाहिर सी बात है उनके boyfriend भी वैसे ही निकले – आज वह आंटियाँ शिक्षा के महत्व को समझ अपनी बेटियों को स्कूल खुद छोड़ने लेने जाती हैं.
इंजीनियरिंग कालेज में ऐसे ऐसे छात्र थे जिन्होंने बारहवीं तक कोई फ़िल्म सिनमा हाल में न देखी थी, पिता लेबर थे. आज वह चीफ़ इंजीनियर बन मुख्य मंत्री के साथ फ़ोटो डालते हैं.
ऐसे भी मित्र थे जिनकी घरेलू परिस्थितियाँ इतनी विकट थीं कि पढ़ना मुश्किल था. किसी तरह से दसवीं पास की. पर लगे रहे. पढ़ाई की, सरकारी नौकरी में गए और पढ़ाई की, आज समाज के सम्भ्रांत व्यक्ति हैं. बच्चों को वह शिक्षा दे रहे हैं जो खुद नहीं पाए थे.
इक्का दुक्का नेता जी के साथ टहलने वाले लोग छोड़ दिए जाएँ तो केवल और केवल शिक्षा ने सबके जीवन में अंतर क्रिएट किया. खुले दिमाग़ से अपने अग़ल बग़ल देख डालिए पचीस साल की कैरियर ग्रोथ, नब्बे प्रतिशत आप पाएँगे शिक्षा ने बनाई.
और अंतर केवल पैसे का ही नहीं लाइफ़ स्टाइल का होता है. शिक्षित व्यक्ति की कम्पनी में सबको मज़ा आती है. मै स्वयं यदि किसी नेता से मिलता हूँ तो यदि वह शिक्षित है तो बात करने का अलग लेवल होता है, लगता है कुछ अच्छा किया. वहीं अशिक्षित नेता से कार्य तो बन जाता है पर उसका समाज में इज्जत पाना मुश्किल होता है.
मेरी सब मित्रों को यही सलाह रहती है कि अप हैसियत से बढ़ कर शिक्षा ग्रहण करो और बच्चों को भी दो. इस काल में शिक्षा से बेहतर निवेश कुछ नहीं.
शेष अभी दसवीं फ़िल्म देख रहा हूँ. फ़िल्म का संदेश भी यही है कि शिक्षा कैसे सकारात्मक परिवर्तन लाती है. नया डिरेक्टर है, डायलाग कुमार विश्वास के हैं तो थोड़ी फ़्रेश नेस है. पिक्चर एक बार देखने लायक़ है. मुख्य है फ़िल्म का संदेश जिससे मैं सौ प्रतिशत सहमत हूँ.